• जागो हुक्मरान न्यूज

आर्टिकल @ आजकल समाज में आत्म हत्या करने वालों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। वर्तमान समय में यह बहुत बड़ी चुनौती है जिसका समय रहते उचित समाधान करना होगा। व्यक्ति क्यों करता है आत्म हत्या? यह गहन चिंतन का विषय है। हालांकि आत्म हत्या के लिए कई फैक्टर (घटक) काम करते हैं,जो किसी व्यक्ति को मरने के लिए मजबूर करते हैं। आत्म हत्या करना किसी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि उससे अनेक समस्याएं पैदा होती है। किसी सन्त ने कहा है,”क्या ले के आया बन्दा,क्या ले के जाएगा? यह दो दिन की जिंदगी है दो दिन का मेला।” कबीर ने प्रेम को ही जीवन का सच्चा आधार माना है उन्होंने कहा है,”प्रेम न बाड़ी उपजै…। प्रेमी ढूंढत मैं फिरूँ,प्रेमी मिलै न कोई। प्रेमी कूँ प्रेमी मिलै तब,सब विष अमृत होई।।” कवि रहीम ने कहा है- रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय,टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ पड़ जाय। यह संसार कच्चे धागे के बंधन में बंधा हुआ है। जिसमें आपसी प्रेम और भाईचारे की प्रधानता होती है। लेकिन फिर भी लोग फालतू के प्रपंच में पड़ कर दुःखों का कारण बनते हैं और उनके पास निवारण के कारण नहीं होने पर वह आत्म हत्या करने का गलत कदम उठाने को मजबूर हो जाते है। आत्म हत्या करने के प्रमुख कारण–
(1) गृह क्लेश-आत्म हत्या का प्रमुख कारण पारिवारिक कलह है। यह पति-पत्नी,पिता-पुत्र,सास-बहू आदि में आपसी विवादों से बनता है। इससे व्यक्ति अवसाद व मानसिक तनाव में आ जाता है और वह आत्म हत्या करने को मजबूर हो जाता है।
(2) अनैतिक यौन संबंध- जब कोई स्त्री या पुरुष अनैतिक यौन संबंध स्थापित करते हैं तो उसकी भनक जब परिवार के सदस्यों,समाज आदि मिलती है,तब उन्हें सबके सामने लज्जित होना पड़ता है। ऐसे लोगों को समाज भी घृणा की दृष्टि से देखता है। उनके पास आत्म हत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है।
(3) प्रेमी युगल द्वारा समाज के विपरीत आचरण करना- अक्सर अधिकतर युवक-युवतियों कॉलेज लाईफ,सोसियल मीडिया,मोबाईल,किसी मेले-उत्सव आदि के दौरान एक दूसरे के सम्पर्क में आकर एक दूसरे को अपना दिल दे बैठते हैं। कुछ समय बाद वे प्यार के बंधन में बंध जाते हैं और जन्मों-जन्म तक साथ निभाने की कसमें खाते हैं। वे यदाकदा किसी एकांत स्थान पर अपने प्यार का इजहार करते हैं लेकिन ज्यों ही उनकी हरकतों का परिवार या समाज को खबर लगती है तो वे उन्हें कोसते हैं। ऐसी स्थिति में प्रेमी युगल आत्म हत्या कर अपनी इहलीला समाप्त कर लेते हैं।
(4) किसी अविवाहित युवती को शादी का झांसा देकर उसे गर्भवती बना देना- कुछ समाज कंटक भोली-भाली नवयुवतियों को अपने प्यार के मोह में फंसाकर उनके साथ यौन संबंध स्थापित करते हैं तथा उन्हें गर्भवती बना देते हैं। जब वह युवती उसके साथ शादी करने की बात करती है तो वह उसे ठुकरा देता है। ऐसे में लोक-लाज से बचने के लिए वह युवती आत्म हत्या कर लेती है।
(5) पढ़ाई का दबाव- आजकल हर माता पिता यह चाहते है कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी करें। उसके लिए वे उन्हें निजी शिक्षण संस्थानों में महंगी शिक्षा दिलवाते हैं। उन्हें बार बार यह यकीन करवाया जाता है कि हम तुम्हारी पढ़ाई पर इतना पैसा खर्च कर रहे हैं तो तुम्हें खूब मेहनत कर डॉक्टर,इंजीनियर,अफसर आदि बनना होगा। इससे बच्चे मानसिक तनाव में आ जाते हैं और उनका मन भटक जाता है। वे अपने माता पिता की आशा के अनुरूप अच्छा परिणाम नहीं दे पाने की वजह से आत्म हत्या करने को विवश हो जाते हैं।
(6) आर्थिक स्थिति- किसी व्यक्ति या परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति भी आत्म हत्या का कारण बनती हैं। भौतिकवाद की चकाचौंध में चारों तरफ पैसों का ही बोलबाला है। फिजूलखर्ची,बीमारी,पारिवारिक कार्य,सामाजिक रीति-रिवाज आदि में पैसों की खूब बर्बादी हो जाती है। व्यक्ति कर्ज के बोझ तले दब जाता है और अंततः वह आत्म हत्या करने को मजबूर हो जाता है।
(7) महिला हिंसा एवं बलात्कार- समाज में महिलाओं के साथ हिंसा व बलात्कार की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। समय पर न्याय नहीं मिलने व सामाजिक दुर्भावना से ग्रसित होने पर वह आत्म हत्या का सहारा लेती हैं।
(9) बढ़ती नशा प्रवृत्ति- युवाओं में नशे की लत तीव्रता से बढ़ रही है। वे ड्रग्स,चरस,अफीम,शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। धीरे धीरे वे नशे के आदी हो जाते हैं और जब उनके पास नशा करने के लिए पैसे नहीं होते हैं तो वे चोरी,डकैती,लूटपाट जैसे घिनौने कार्यों को अंजाम देते हैं। बाद में परिवार,समाज,पुलिस आदि के भय से आत्म हत्या कर लेते हैं।
(10) अंतरजातीय विवाह- अंतरजातीय विवाह भी एक कारण है। आजकल पढ़े-लिखे युवक-युवतियों एक ही ऑफिस में नौकरी करने या अन्य कारणों से एक दूसरे को अपना जीवन साथी चुन लेते हैं और न्यायालय से कोर्ट मैरिज कर लेते हैं। जिसका उनके माता पिता, परिवार, समाज आदि द्वारा घोर विरोध किया जाता है। उन्हें परिवार व समाज से बहिष्कृत करने व जान से मारने की धमकियां दी जाती है। इस कारण वह मानसिक तनाव में आकर आत्म हत्या कर लेते हैं।
इसके अलावा घरेलू हिंसा,असाध्य रोग, बेरोजगारी,सामाजिक व्यवस्था,खांप पंचायत,जातीय हिंसा व भेदभाव,धार्मिक कट्टरता,दिवालियापन,मानसिक चोट आदि बहुत से घटक हैं जो व्यक्ति को आत्म हत्या करने को मजबूर करते हैं।
आत्म हत्या रोकने के उपाय-
(1) सरकार द्वारा ठोस कदम उठाने चाहिए। पीड़ित व्यक्ति को समय पर न्याय मिले,सभी को रोजगार के अवसर मिले,सभी को सस्ती व रोजगार उन्मुख शिक्षा मिले,महिलाओं को भय मुक्त वातावरण मिले,संस्कार आदि के लिए समयबद्ध तरीके से योजनाएं बनाकर आम लोगों को जानकारी दी जाए।
(2) सामाजिक कुरीतियों,कुप्रथाओं,अंधविश्वास आदि से मुक्ति के लिए सार्थक प्रयास किया जाए।
(3) फिजूलखर्ची,नशा प्रवृत्ति आदि से बचा जाए और इसके लिए सामूहिक रूप से सार्थक प्रयास करने चाहिए।
(5) समाज में आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना विकसित की जाए तथा धार्मिक कट्टरता को समाप्त कर मानवीय व वैज्ञानिक दृष्टिकोण की अवधारणा पैदा की जाए।
(6) सभी को हिंसा की बजाए सत्य और अहिंसा के मार्ग को अपनाकर समानता,न्याय,स्वतंत्रता व बन्धुता का संदेश देना चाहिए।
(7) सरकारें आम भारतीय नागरिक के जीवन स्तर को सुधारने हेतु सार्थक योजनाएं बनाएं तथा उन्हें संरक्षण प्रदान करें।
(8) समाज में व्याप्त किसी भी प्रकार के भेदभाव को जड़मूल से समाप्त किया जाए।
(9) समाचार पत्रों,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया,सोसियल मीडिया,सिनेमा,धारावाहिक,टीवी.,मठों-मस्जिदों,राजनेताओं,संगठनों आदि के द्वारा भ्रामक प्रचार करने पर पाबंदी लगाई जाए।

लेखक: मास्टर भोमाराम बोस, जिला- बालोतरा 9829236009

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