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– प्रो.स्वामी आत्माराम जी उपाध्याय के जन्म दिवस पर मेरी पंक्तियां –

साधो भाई साधु एक अलबेला
परोपकार की चादर ओढ़े, रहते हरदम मस्तमौला
साधो भाई——-
गाँव खांगटा में जन्म धारयो, मेघ कुल रे माहीं।
पिता कालूराम जी पुल्कित भये, माता झमुबाई गोद खेलावे।।
साधो भाई——-
कुटुंब-परिवार सगळा भेळा होय, अमराराम नाम दिरावे।
जस रा ढोल रोलन घर बाजे, सखियां हरख-बधावा गावै।।
साधो भाई——
कुदरत का करिश्मा न्यारा, सांसारिकता मन नहीं भावे।
खांगटा सूं निकल्या स्वामी जी, शहर जोधाणा आवे।।
साधो भाई——
जोधाणा आय किशनाराम जी के रामद्वारे, नत मस्तक हो जावे।
स्वामी जोगाराम जी के चरणों में शीश रख, दण्डवत प्रणाम करावे ।।
साधो भाई—–
स्वामी जोगाराम जी हाथ धरे शीश पर, आत्माराम नाम दिराया।
गुरुजी से आत्म ज्ञान सीखा, उपाध्याय की शिक्षा पाई।।
साधो भाई—–
झोला-खप्पर लिए हाथ में, भगवा भेष सुहाए।
साधु बन घूमे गली-गली, घर-घर अलख जगावै।।
साधो भाई—–
गुरु जोगाराम जी ब्रह्मलीन हुए, तब महंत पदवी पावै।
रामद्वारे रो जीर्णोद्धार कियो, अकादमी में पदार्पण करीजै।।
भारतीय दलित साहित्य अकादमी के प्रदेशाध्यक्ष पद पर, गत 28 वर्षों से बिराजै।
सन्त से महामंडलेश्वर का सफर, ख्याति चहुँ दिश पहुँची।।
साधो भाई—–
दीन दुखियों री सेवा सारूं, हरदम अलर्ट रहवे।
देश-प्रदेश में डंका बाजै, शिक्षा अर साहित्य की अलख जगावै।।
साधो भाई——
नशा, अंधविश्वास, कुरीतियों ने दूर भगावे, गुण डॉ. अम्बेडकर रा गावै।
मान-सम्मान मिले जग माहिं, अखण्ड ज्योति जगावे।।
साधो भाई—–
ज्ञान, वैराग्य, भक्ति के सागर, मन में दया-करुणा हद भारी।
सन्तों की सत्संग में नित, पद परमहंस पावै।।
साधो भाई——
धिन गुरु स्वामी अखण्ड अविनाशी, दर्शन विरले ही पावै।
मेघ भोमाराम री अर्ज विनती, आंख्या देखन तरसे।।

मास्टर भोमाराम बोस
प्रदेश महामंत्री (संगठन): भारतीय दलित साहित्य अकादमी, राजस्थान प्रदेश

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