★ “जीत के अल्फाज” मोटिवेशन सेंटर की अनोखी पहल – धरातल पर प्रतिभाओं की पहचान ★

• जागो हुक्मरान न्यूज़

महिलावास / बाड़मेर | कहते हैं ना कि संघर्ष इनता बड़ा हो कि कोई कहानी बन जायें, निराश व्यक्ति भी पढ़े, तो संघर्ष की राह पर चले…

धरातल पर संघर्ष की वास्तविक कहानी से रूबरू होंगे l जो युवाओं के लिए बनेंगी भविष्य में प्रेरणादायक l ऐसी ही अनोखी कहानियों को धरातल से ढूंढ कर युवाओं तक पहुचाने के लिए “जीत के अल्फाज” मोटिवेशन सेंटर के संरक्षक कुमार जितेन्द्र “जीत” ने की अनोखी पहल l


♦ न पूछ की मेरी मंजिल कहा है, अभी तो सफर का इरादा किया है, न हारूंगा हौसला चाहे कुछ भी हो जाए, ये रमेश ने किसी और से नहीं खुद से वादा किया था l

इन्हीं पंक्तियों को धरातल पर साकार करने के लिए बाड़मेर के छोटे से गांव महिलावास रमेश मेघवाल ने जिद्द और जुनून की बदौलत विभिन्न कठिनाइयों भरे रास्ते को पार कर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है l

पारिवारिक पृष्ट भूमि – रमेश मेघवाल बताते हैं कि मेरा परिवार एक संयुक्त परिवार का अनोखा संदेश है जिसका नेतृत्व मेरी दादी मोरकी देवी बड़े सरल ढंग से कर रहीं हैं l मेरे परिवार के सदस्य पिता सूजा राम, माता कमला देवी और पांच भाई और एक बहिन हैं l

मेरे पिता परिवार का पालन-पोषण करने के लिए शुरुआत में नर्सरी में पेड़ पौधों की देख-भाल करते थे फिर आय का स्त्रोत बढ़ाने के लिए पत्थरों की कटिंग का कार्य कर हमारी पढाई को जारी रखवाया l ख़ुद समस्या देख ली लेकिन हमें किसी भी प्रकार की कोई समस्या आने नहीं दी l

एक नज़र में रमेश के अध्ययन का सफर रमेश मेघवाल के अनुसार उनकी उच्च प्राथमिक तक शिक्षा गांव के सरकारी विद्यालय में हुई तथा उच्च माध्यमिक तक कि शिक्षा गांव से दो – तीन किलोमीटर दूर मोकलसर के सरकारी विद्यालय में प्राप्त की l उच्च अध्ययन के लिए प्रतिदिन घर से मोकलसर तक का सफर पैदल ही तय करता था l तथा कक्षा नवमीं से बारहवीं तक के दौरान वर्ष में उपस्थिति में हमेशा प्रथम स्थान प्राप्त किया l तथा प्रत्येक वर्ष विद्यालय के वार्षिकोत्सव पर उपस्थिति पुरस्कार प्राप्त होता था l

उच्च माध्यमिक परीक्षा पास करके राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जालोर में कला वर्ग अंग्रेज़ी साहित्य में प्रवेश लिया l लेकिन स्नातक स्तर पर अंक कम प्राप्त होने के कारण शिक्षक बनने के सपने को साकार करने के लिए बीएड प्रवेश परीक्षा के लिए योग्यता अर्जित नहीं हो पाई l तथा अन्य साथी बीएड की ओर कदम बढ़ा लिए l मेरे लिए यह रास्ता बंद हो चुका था लेकिन आँखों में ख्वाब था शिक्षक बनने का उसे किसी भी हालत में पूरा करना l

उसी ख्वाब को साकार करने हेतु घर सैकड़ों किलोमीटर दूर संस्थान केलिओपे इंस्टीट्यूट ऑफ एलिमेंट्री टीचर ट्रेनिंग कटुआ, जम्मू कश्मीर में प्रवेश लेकर बीएसटीसी का प्रशिक्षण पूरा किया गया l

संघर्ष भरी राहों में नजर लक्ष्य पर – रमेश मेघवाल की पढ़ाई पूरी होने के बाद वर्ष 2013 में शादी हो गई l परिवार में बड़े होने के कारण परिवार के आर्थिक स्तर को सुधारने एवं साथ में स्वयं की पढ़ाई को भी जारी रखने की दोहरी जिम्मेदारी का निर्वाह बड़ी समझदारी से किया l कम तनख्वाह पर निजी विद्यालयों में अध्ययन करवाया तथा साथ में ट्यूशन, मजदूरी एवं खेती कार्य में भी हाथ आजमाया l

कोरोना काल आर्थिक स्तर थोड़ा कमज़ोर होने के कारण कर्ज लेके घर पर ही तैयारी की गई l अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर कठिन परिश्रम किया जिसका नतीज़ा उन्हें शिक्षक बनने के रूप में मिल गया l

हाल ही में पहली कर्मस्थली राजकीय प्राथमिक विद्यालय चुतरा राम जाणी की ढाणी गादेश्वरी (गुड़ामालानी) बाड़मेर में शिक्षक के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं l ज्ञात हो कि 2012 में शिक्षक भर्ती परीक्षा में चयन हो गया l लेकिन शिक्षक प्रशिक्षण की डिग्री समय पर पूरी नहीं होने के कारण वंचित रह गए l

प्रेरणादायक व्यक्ति जिनसे राह आसान हुई – रमेश मेघवाल के जीवन में अनेक व्यक्ति प्रेरणादायक के रूप में भूमिका निभाई l जिसमें शुरुआती दौर में अध्यापक लक्ष्मण राम राणा, अध्यापिका लक्ष्मी बिस्सा तथा गोरधन सोलंकी, सूजा राम सोलंकी, ऑनलाइन फॉर्म संबधी सहयोग दोलाराम प्रजापत एवं आर्थिक सहयोग कमलसिह बालावत काठाडी की भूमिका महत्वपूर्ण रहीं हैं ।

भविष्य का सपना, कोई युवा पीछे न रहे – रमेश मेघवाल ने बताया कि “जीत के अल्फाज” मोटिवेशन के संरक्षक कुमार जितेन्द्र “जीत” के कार्यो की प्रेरणा से स्वयं की मासिक तनख्वाह में से आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार के युवाओं की मदद कर उन्हें लक्ष्य तक पहुंचाने में सहयोग किया जाएगा l

संकलनकर्ता- कुमार जितेन्द्र “जीत”
(कवि, लेखक, विश्लेषक, आलोचक)
संरक्षक – “जीत के अल्फाज” निःशुल्क मोटिवेशन सेंटर
वरिष्ठ – अध्यापक (गणित), मोकलसर (बाड़मेर)
सम्पर्क. 9784853785

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