एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स हज़ारों सैटेलाइट लॉन्च कर रही है। ये सैटेलाइट स्टारलिंक प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं। इनका मकसद बिना किसी मोबाइल टॉवर के अंतरिक्ष से पृथ्वी के दूर दराज़ इलाकों में इंटरनेट सेवा पहुंचाना है। चूंकि ये सैटेलाइट लोअर ऑर्बिट में छोड़े जाते हैं, इसलिए धरती से दिखाई देते हैं। कई लोगों का कहना है कि उन्होंने इस कंपनी के कई सैटेलाइट आसमान में देखे हैं। इसी तरह का एक नजारा 13 सितंबर को राजस्थान के सरदारशहर से देखा गया है। आइए बताते हैं, क्या है इसमें खास…

• जागो हुक्मरान न्यूज़

चूरू | दुनिया के कई हिस्सों में जो नजारा अब तक देखा जा चुका है, वही अब राजस्थान के चूरू जिले के सरदारशहर क्षैत्र में दिखा है। 13 सितंबर 2022 की रात चूरू के सरदारशहर, तारानगर, रतनगढ़ समेत कई तहसील क्षेत्र के आसमान में रोशनी की एक कतार देखी गई। असल में ये दुनिया के सबसे रईस शख्स एलन मस्क के स्टारलिंक सैटेलाइट्स हैं। जो इसी तरह से आसमान में उड़ते हुए दिखते हैं। लोगों में इनको देखते हुए दहशत फैल गई। लेकिन बाद में इनके बारे में हकीकत सामने आई। इसके पहले पंजाब, उत्तरप्रदेश में भी इसी तरह की रोशनी दिखाई दी थी।

चूरू के आसमान से गुजरे सैटेलाइट- सरदारशहर, तारानगर, रतनगढ़ जैसे कई शहरों में 13 सितंबर 2022 की रात आसमान में रोशनी की एक कतार देखी गई। ये रोशनी की कतार रात में गुजरती हुई रोशन ट्रेन की तरह दिख रही थी। असल में ये दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति, टेस्ला (Tesla) और स्पेसएक्स (SpaceX) के मालिक एलन मस्क (Elon Musk) के स्टारलिंक इंटरनेट सैटेलाइट (Starlink Internet Satellite) हैं, जो मंगलवार रात चूरू जिले के आसमान से गुजरे।

हर दूसरे महीने आसमान में कई सैटेलाइट्स छोड़ते हैं एलन मस्क- एलन मस्क इन सैटेलाइट्स को लगभग हर दूसरे महीने अपने फॉल्कन-9 (Falcon-9) रॉकेट से अंतरिक्ष में छोड़ते हैं। इस रॉकेट में दो स्टेज होते हैं। पहला स्टेज आमतौर पर लॉन्चिंग के 9 महीने बाद धरती पर वापस लौट आता है। जबकि, दूसरा स्टेज स्टारलिंक सैटेलाइट्स को धरती की निचली कक्षा (Lower Orbit) में स्थापित करता है, जो पृथ्वी से करीब 500 किमी की दूरी पर है। दूसरा स्टेज कुछ समय बाद धरती पर वापस क्रैश लैंडिंग करता है। इससे पहले पिछले साल दिसंबर में भी पंजाब में स्टारलिंक सैटेलाइट्स देखने को मिले थे। शुरुआत में लोग थोड़ा परेशान जरूर हुए थे लेकिन जब बाद में पता चला कि ये क्या हैं। तब राहत की सांस ली।

पूरी दुनिया को तेज इंटरनेट देना चाहते हैं एलन मस्क- असल में Starlink Internet Satellite एक दूसरे से थोड़ी दूरी धरती के ऊपर चक्कर लोअर आर्बिट में चक्कर लगाते हैं। Elon Musk अपने इन स्टारलिंक इंटरनेट सैटेलाइट (Starlink Internet Satellite) की बदौलत पूरी दुनिया के अंतरिक्ष से बेहतरीन और तेज इंटरनेट की सुविधा देना चाहते हैं। इस सैटेलाइट सर्विस का फायदा अभी 40 देश उठा रहे हैं। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध (Russia-Ukraine War) के दौरान भी एलन मस्क ने स्टारलिंक सैटेलाइट के जरिए यूक्रेन को इंटरनेट की सुविधा दी थी

एक बार में 46 से 56 सैटेलाइट छोड़ते हैं मस्क
एलन मस्क की कंपनी SpaceX अपने सैटेलाइट लान्च व्हीकल फॉल्कन-9 रॉकेट के जरिए एक बार में 49 से 56 Starlink सैटेलाइट स्पेस में छोड़ती है। स्पेसएक्स कंपनी ने मार्च 2022 में इस बात की घोषणा की थी कि स्टारलिंक के 2.50 लाख सब्सक्राइबर्स हो चुके हैं। जो मई तक बढ़कर 4 लाख हो गए थे। एशिया में इस सर्विस का फायदा उठाने वाला पहला देश फिलिपींस है। फिलहाल स्टारलिंक इंटरनेट सैटेलाइट (Starlink Internet Satellite) धरती से 550 से 570 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ते हैं। कई स्रोतों को दावा है कि अब तक एलन मस्क 10 हजार से अधिक सैटेलाइट स्पेस में छोड़ चुके हैं।

सूरज की रोशनी से होते हैं रोशन- इतनी ऊंचाई पर सूरज की रोशनी धरती के दूसरी तरफ से इनपर पड़ती है। जिसकी वजह से रात में चमकते हुए दिखते हैं। ऐसा लगता है कि कई बल्बों को एक कतार में जोड़कर आसमान में उड़ाया जा रहा हो। इस साल 3 फरवरी स्पेसएक्स ने 49 स्टारलिंक इंटरनेट सैटेलाइट (Starlink Internet Satellite) लॉन्च किए थे। लेकिन कुछ ही घंटों के बाद और सौर तूफान ने 40 सैटेलाइट्स को बेकार कर दिया था। जिसके बाद कंपनी ने घोषणा की ये 40 सैटेलाइट्स धरती के वायुमंडल में आकर खाक हो गए। हालांकि उसके बाद एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने कई बार स्टारलिंक इंटरनेट सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग की है। हाल ही में दो बार इन सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग की गई है।

क्या है स्टारलिंक – स्टार लिंक सैटेलाइट के एक बड़े नेटवर्क की मदद से इंटरनेट सेवा देता है, मकसद है दूर-दराज़ के इलाकों को तेज़ इंटरनेट से जोड़ना। जानकारों के मुताबिक, दुनिया के देशों, जैसे कई अफ्रीकी देशों के लोगों को इससे बहुत फ़ायदा होगा। दूरदराज में मौजूद क्षेत्रों जैसे रेगिस्तान और समुंदर, हर जगह इससे इंटरनेट पहुंच सकेगा। बिना किसी मोबाइल टॉवर के सीधे सैटेलाइट से फोन पर नेटवर्क हासिल हो सकेगा। सैटेलाइट के इस्तेमाल से पहाड़ों और रेगिस्तानों तक इंटरनेट पहुंचाया जा सकेगा। ये ज़मीन पर एक बड़े इन्फ़्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत को ख़त्म कर देगा, हमें केबल और लंबे पोल की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

स्टारलिंक के सैटेलाइट पृथ्वी के बहुत पास यानी लो-लेवल ऑर्बिट में होते हैं। इससे ज़मीन और सैटेलाइट के बीच तेज़ कनेक्शन देने में मदद मिलेगी। लेकिन कई लो-लेवल सैटेलाइट पर पूरी दुनिया में कवरेज देने का भार भी होगा। एक कंजरवेटिव अनुमान के अनुसार, स्टारलिंक ने 2018 से अभी तक 3000 सैटेलाइट ऑर्बिट में डाले हैं। लेकिन कुछ अनुमानों के अनुसार ये संख्या 10 हजार से ज्यादा भी हो सकती है।

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