• जागो हुक्मरान न्यूज
बुढों के पास बैठा करो
बैठा करों अपने बुढो के पास।
वो तुम्हें बताएंगे बातें खास।।
वे तुम्हें बताएंगे संस्कार।
जिससे तुम होंगे पार।।
एक दिन ये सब कुछ छोड़कर चलें जायेंगे।
ये आपकी हलवा पुड़ी खाने वापस नहीं आयेंगे।।
इनके पास रोज तुम बैठा करों।
इनका आशीर्वाद लिया करों।।
ये आपकों जीने के गुर सिखाएंगे।
आपको मानवता की राह दिखाएंगे।।
मत तोड़ा करो इन सुखें पत्तों को टहनियों से,
ये अपने आप एक दिन हवा के साथ गिर जायेंगे ।
ये फिर वापस लौट कर नहीं आयेंगे।।
किसके लिए रखतें हों श्राद्ध आप।
खाते हैं कौआ और पंडित चल बसे है बाप।।
बैठा करो बुजुर्गो के पास भाई।
चले गए तो वापस मिलेंगे नाही।।
तुम इनकी सलाह लिया करों।
कुछ समय इनके पास दिया करों।।
बुढ़े आखिर एक दिन संसार छोड़ेंगे।
आप से अपने आप मुंह मोड़ेंगे।।
तुम क्यों लेते हैं कुजस, संभाल जाओ बस।
तुम इनसे मीठे बोला करो यही तुम्हें जस।।
बुजुर्ग का अनुभव, तुमसे बहुत बड़ा है।
वे बेचारे कई अभागो से खुब लडा़ है।।
तुम अपनी जवानी में मत बनों अंधे।
एक दिन तुम भी बुढ़े बनोगे बंधें।।
ऊपर आयेंगे सफ़ेद बाल, यहीं होंगे तुम्हारे हाल।
गर्दन में होगी कंपन,और पिचक जायेंगे गाल।।
अरे बंधा करना सुकरत धंधा,एक दिन अस्त होंगा तारा और चंदा।
करना नहीं जीवन में अनुचित कोई ऐसा कलंकी फंदा।।
कविता लिखी बामणिये रणोदर वासी।
चले गए बुजुर्ग तो लौट कर वापस नहीं आसी।।
रचनाकार-
झंवताराम बामणिया रणोदर चितलवाना सांचौर राज
मो नं 9982119028