■ हरिद्वार नहीं गए, डांगड़ी रात नहीं की व औसर – मौसर – नुक्ता आदि नहीं करने व हलवा-पूरी लापसी आदि मीठा भोजन नहीं बनाया

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बाड़मेर | जिले के बायतु उपखंड क्षेत्र मे खतियों का तला चौखला में दिनांक 13 जनवरी 2022 को श्रद्धाजलि सभा का आयोजन। खेमाणी खती परिवार ने मेघवाल समाज छात्रावास बाड़मेर को दिया 1,50,000/- का चैक राजस्थान मेघवाल परिषद जिला शाखा बाड़मेर के जिलाध्यक्ष तगाराम खती के ज्येष्ठ भ्राता स्व.श्री हेमाराम खती के निधन पर शोक सभा का आयोजन, समाज के गणमान्य प्रबुद्धजन हुए शरीक हुए।

गत 4 जनवरी 2022 को हेमाराम खती का 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। परिवार के सभी सदस्यों ने मृत्युभोज नहीं करने, हरिद्वार नहीं जाने, रात्रि जागरण (डांगड़ी) नहीं करने व औसर-मौसर- नुक्ता आदि नहीं करने तथा हलवा-पूरी, लापसी आदि मीठा भोजन नहीं बनाया। केवल दाल-रोटी ही बनाई गई। इससे पूर्व भी इस परिवार ने मृत्युभोज को एक सामाजिक अभिशाप मानते हुए व कानूनी रूप से भी प्रतिबंधित होने के कारण मृत्यु भोज नहीं किया।

नागौर से हिम्मताराम मेहरा सेवानिवृत्त एस डी एम ने इस शोक सभा में शिरकत कर समाज को कुरीतियों, अंधविश्वास आदि से छुटकारा दिलाने का निवेदन किया तथा बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ज्योतिबा फूले कबीर रैदास जैसे महापुरुषों के मूल मंत्र शिक्षा पर जोर देने का महत्व बताया। उन्होंने सामाजिक एकता बनाए रखने का भी सभी से अनुरोध किया।

इससे पूर्व भी खेमाणी खती परिवार द्वारा राउमावि खतियों का तला चौखला, बाड़मेर में अपने माता-पिता की स्मृति में प्याऊ का निर्माण करवाया था। तगाराम खती जो कि स्वयं शिक्षक रह चुके हैं समाजोत्थान व मानवीय कार्यो में अमूल्य सहयोग रहता है उनके ज्येष्ठ पुत्र रमेश खती गडरारोड़ में सीबीईओ के पद पर कार्यरत हैं।

इनके परिवार से ही श्रीमती धर्मी देवी सामान्य सीट से सरपंच भी है। खतियों का तला जो कि चौखला ग्रामपंचायत के अंतर्गत आता है। इस गाँव में मेघवाल जाति की बहुलता है। करीब 60 लोग सरकारी सेवा में है, नशे की लत यहा के लोगों में नहीं है। पूरा गाँव तगाराम खती परिवार का अनुसरण करते हैं। इससे युवाओं को प्रेरणा मिलती है।

मास्टर भोमाराम बोस, प्रदेश संगठन मंत्री राजस्थान मेघवाल परिषद, डॉ राहुल बामणिया जसाई, एरोजा टीम के जगदीशचंद सहित बाड़मेर जैसलमेर जोधपुर सहित जानी-मानी हस्तियों का कार्यक्रम में शिरकत की गयी हजारों वर्षों की जमी हुई एक सामाजिक कुरीति को खत्म एक एक नया बदलाव करना अपने आप में एक मिसाल है।

लाखों का अपव्यय को खत्म कर शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग करना आने वाली पीढ़ी के लिये एक नई शुरुआत है। इससे प्रोत्साहित होकर जरूर सामाजिक क्षेत्र में बदलाव की शुरुआत होगी।

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