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~ बेटी का सम्मान ~

एक गांव में राधा नाम की लड़की रहती थी वह अपने परिवार के साथ रहती थी
उसके बड़े भाई का नाम मनोज था वे दोनों एक साथ स्कूल जाते थे मनोज के पिताजी ने मनोज का हाई स्कूल में एडमिशन करवाया और राधा को घर का काम काज संभालने के लिए कहा
बचपन से ही राधा को पढ़ाई में रुचि थी, एक दिन सभी लोग शाम को खाना खा रहे थे।
तभी राधा ने अपने पिताजी से कहा कि मुझे भी पढ़ना है 
और मनोज के साथ हाई स्कूल में पढ़ना चाहती हूं। तभी राधा के पिताजी ने राधा से कहा कि तू आगे पढ़ लिख कर क्या करेगी तू तो पराया घर जाएगी
इसलिए तू अपने काम से काम रख
राधा बिना खाना खाये अपने कमरे में जाती हैं
और वह सोचती है की लड़की होना क्या गुना है
क्या लड़की पढ़ नहीं सकती
जब सुबह मनोज स्कूल जा रहा था
तब राधा ने अपने मां
से कहा कि मनोज के साथ मुझे भी पढ़ने के लिए भेजो
लेकिन राधा की मां ने मना कर दिया कि क्या करेगी पढ़ लिखकर
लेकिन राधा को पढ़ना था और वह अपनी जिद पर अटकी रही
जब सभी ने पढ़ाई के लिए मना कर दिया तब वह अपने ननिहाल चली गई
और उसके मामा जी टीचर थे
राधा की पढ़ाई में रुचि देखकर वो भी प्रसन हुऐ
और उसकी आगे की पढ़ाई शुरू करवा दी
उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी
और UPSC का एग्जाम दिया
उसमें वह पास हो गई और कलेक्टर बन गई जब जब कलेक्टर बनने की खबर अपने माता-पिता को पहुंची तो वह  शर्मिंदा हो गई उसका भाई मनोज जिसको उसके माता-पिता ने पैसे देकर पढ़ाया लिखाया वह नशा  करने लग गया वह बुरी संगत में पड़ गया

*शिक्षा* – उसके माता-पिता को सबक मिल गया की बेटी घर का बोझ नहीं होती जरूरी नहीं है कि लड़का कर सके वह लड़कियां नहीं कर सकती इसलिए बेटियों को पराई मत समझो।

~ अनीता मेघवाल
कक्षा- 11th, राजकीय उच्च मा विद्यालय,
निम्बानियों की ढाणी, बायतु, (बाड़मेर)

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