• जागो हुक्मरान न्यूज
~ अपनी भाषा ~
मायड़ भाषा आपणी, मत छोड़ो छिटकाय ।
छूट गयी तो ना मिले , कीजै लाख उपाय।।
भाषा नै बचावण री, सौगंध सब हि खाय।
संस्कृति री ओट मांही, भाषा आप बचाय ।।
संस्कार बचे आपणा, सभी गौर फरमाय।
राजस्थानी बोलतां, क्यूं रहया शरमाय।।
म्हारी बोली महाण।
जुग में है घणो माण।
रायस्थान री शाण।
मारवाड़ी री जाण।।
बोल्या आव ताण।
सकून सारो माण ।।
ईण ना देख काण।
आ हि है तेरी भाण।।
ईण ने माँ तु जाण ।
ईण से मुँह पे पाण।।
मान्यता दिला र माण ।
चपो चपो ले छाण ।।
मारवाड़ी बोल छु जा आसमाण।
यही रोजी यही तेरा अभिमाण ।।
शब्द घणा क्यू जावे माँगण।
फाल्गुन को सिदो फ़ाँगण ।।
साड़ी पल्लू को बोल दामण ।
जादू टोना को बोल कामण ।।
शब्दा नै ना बैठ तु छांटण ।
भर्मण को सिदा बोल हांडण ।।
बोली ने आकाश चाढ।
ई खातिर चोफेरा टाड।।
ईण म कर काण्ड ।
ईण स बाँध पांड।।
ईण म गाली रांड।
ईण म थाली खांड।।
ईण म गोदो सांड।
भाटी भाट भांड।।
ईण ने मायेंड मांड।
ईण ने चढ़ा जांट ।।
ईण ने बोल बावला सांड।
बाकी धक्को दे बारे काढ।।
हिन्दी बोल ना काँटों काढ।
आषाढ ने तु बोल षाढ।।
बोली म ज्यो शक़्कर खांड।
शर्म कर इंग्लिश ना झाड़।।
बोली री राख तु राड़।
मंच रे माध्यम सु धाड़ ।।
प्रवीण दानोदिया सेहला
~ प्रवीण दानोदिया, सेहला (चूरू)