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चित्तौड़गढ़ | गरीबों पीड़ितो, दलितों पर होने वाले ज़ुल्म ज्यादती पर सुनवाई कर, आन्दोलन कर न्याय हक दिलाने वाली राजनेता गंगा परमार जिन्हें पुरे भारत में सम्मान की नजर से देखा जाता रहा है, 26 दिसम्बर को दोपहर बाद निधन की ख़बर सुनकर जेसे दिन में अंधकार छा गया हों। गमगीन माहौल में अनेकों राज्यों से सामाजिक कार्यकर्ता, तथा अधिवक्ताओं, युवाओं, महिलाओं आदि की उपस्थिति में शव यात्रा कुभांनगर (चितोड़गढ) से प्रारम्भ होकर शहर के मोक्षधाम में अधिवक्ता बेटा गोरव परमार ने मां गंगा परमार जो मुखाग्नि देने से पुर्व, भारतीय बहुजन साहित्य अकादमी भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मदन सालवी ओजस्वी ने श्रीमती परमार के जीवन को धन्य बताते हुए “जब तक सुरज चांद रहेगा गंगा जी आपका नाम रहेगा” जैसे नारे लगाकर गहरी संवेदनाएं प्रकट की।

श्रीमति परमार का विशेष परिचय:

जन्म:- 1956 खेरोदा, जिला उदयपुर में।

बचपन:- बड़ी सादड़ी।

पारिवारिक पृष्ठभूमि- पति एल.एन. परमार (रिटायर्ड पोस्ट मास्टर), पुत्र- गौरव परमार (एडवेाकेट) एवं तीन पुत्रियां

राजनीतिक सफर:- 21 नवम्बर 1984 को राजस्थान की पहली दलित महिला के रूप में चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र मे पर्चा भरा, जिसे उठाकर 30 नवम्बर 1984 को कांग्रेस (इ) की सदस्यता ग्रहण करते हुए सक्रिय राजनीति में आई।

कांग्रेस मे जिला युवा कांग्रेस महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष, कांग्रेस महिला सेवादल में जिला मुख्य संगठक, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ में प्रदेश संयुक्त मंत्री, पिछड़ी बस्ती विकास एवं श्रम प्रकोष्ठ की जिला प्रभारी सहित कांग्रेस संगठन मे कई महत्वपूर्ण पदों पर 1984 से 1993 तक कार्य किया।

वर्ष 1994 में समाजवादी पार्टी (मुलायम सिंह) चित्तौडगढ की जिलाध्यक्षता बनी और इसी पार्टी से चितौड़गढ़ लोकसभा का चुनाव लड़ा। बाद मे भारत निर्वाचन आयोग दिल्ली से 6 मार्च 2003 को अखिल भारतीय कांग्रेस दल (अम्बेडकर) नामक राजनीतिक पार्टी का रजिस्ट्रेशन करवा कर इसकी राष्ट्रीय अध्यक्षा बनी।

पुरस्कार एवं सम्मान:- डॉ. अंबेडकर फैलोशिप 1990 एवं 1993, 1991 में राहुल सकृत्यायन पुरुस्कार महाराष्ट्र के तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री रामदास अठावले ने दिया। वर्ष 1991 में दलित नारी चेतना पुरुस्कार आदर्श महिला समाज अहमदाबाद गुजरात ने दिया।

वर्ष 1996 में नित्यानंद स्वामी कार्यकारी सभापति विधान परिषद उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय मानव सम्मान दलित गौरव पुरस्कार में अलंकृत किया।23 सितंबर 1997 को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में डॉ. अंबेडकर अन्तर्राष्ट्रीय सेवा पुरस्कार भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.शंकर दयाल शर्मा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई एवं पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद ने दिया। वर्ष 2003 में सेवा स्तंभ दिल्ली की ओर से डॉ.अंबेडकर फ्लैग अवार्ड 2002 दिया गया। इसके अलावा अनेकों पुरस्कार मिले।

दलित आंदोलन:- 17 जून 1993 को सडक गांव में हरिजनों का मंदिर प्रवेश, 9 जनवरी 1993 दिल दलितों का राम थली पूजा आंदोलन, 7 मई 1993 को नेवरिया में दलित दूल्हे की बिंदोली आंदोलन, 27 जुलाई 1993 को चित्तौड़गढ़ शहर में शराब विरोधी मशाल जुलूस, 12 फरवरी 1995 को तुम बढ़िया में छुआछूत निवारण यात्रा बामनिया का मंदिर प्रवेश आदि अनेकों आंदोलन, धरना प्रदर्शन चलाएं। दलित आंदोलन में 30 दिसंबर 1994 को मध्य प्रदेश नयागांव में 20 जनवरी 2002 को शंभूपुरा में गिरफ्तार हुई।

जासूस के रूप में:- फरवरी 1993 से जुलाई 1999 तक करीब साडे 6 साल अपने देश की सर्वाेच्च खुफिया विभाग आईबी भारत सरकार के लिए जासूस के रूप में काम किया। वह गोपनीय जानकारियों के अलावा राजनीतिक और अन्य तरह की सूचनाएं गुप्त उपलब्ध कराती रही वह कई सालों तक सक्रिय जासूस रही।

अखबार निकाला उन्होंने राजस्थानी से “टेलीफोन” नाम से पाक्षिक अखबार निकाला जो चित्तौड़गढ़ से प्रकाशित होकर बंद हो गयाा। 20 मई 1998 को ग्राम देवरी में दलित दूल्हे को घोड़ी बिंदोली आंदोलन, 20 जुलाई 1998 कल्याणपुरा में दलितों का होटल प्रवेश आंदोलन, 17 जून 2001 को बामणिया में दलितों का सामूहिक मंदिर प्रवेश।

सामाजिक संगठन:- उन्होंने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति जनजाति एवं अल्पसंख्यक महासंघ, अखिल भारतीय इंदिरा सेवाश्रम अंबेडकर महासंघ, भारतीय दलित साहित्य अकादमी दिल्लीली, सेवा स्तंभ दिल्ली, एकलव्य सेना, राष्ट्रीय शोषित परिषद, ऑल इंडिया हरिजन लीग गांधी जी द्वारा स्थापित आदि कई सामाजिक संगठनों में काम कियाा। उन्होंने खेतों में काम किया और अफीम की खेती तक की।

विशेष अन्य:- 1- 13 जुलाई 2012 को दलित ओपन यूनिवर्सिटी दीनापुर, गुंटुर आंध्र प्रदेश द्वारा डॉ.अंबेडकर नेशनल अवार्ड प्रमाण पत्र मेडल एवं राशि 6000 चेक से सम्मानित। यह अलंकरण विश्वविद्यालय के सिल्वर जुबली समारोह में चेयरमैन डॉक्टर एम स्वर्णालथा देवी ने दिया।

2- 24 सितंबर 2006 को राजस्थान दलित साहित्य परिषद जयपुर में आयोजित समारोह में दलित चेतना सम्मान प्रदान किया गया।

3- 15 दिसंबर 2007 को श्री कृष्ण कला साहित्य अकादमी इंदौर में कर्मठ समाजसेवी का अवार्ड 2007 अखिल भारतीय सम्मान समारोह में दिया। 17 जून 1992 सादात में हरिजनों का मंदिर प्रवेश, 9 जनवरी 1993 राम थली पूजा आंदोलन, 17 जून 2001 कपासन तहसील के बामनिया गांव में दलितों का सामूहिक मंदिर प्रवेश का नेतृत्व, 7 मई 1993 नेवरिया में पुलिस पहरे में दलित दूल्हा की बिंदोली, 12 मई 1994 गुरु जनिया गांव में दलित दूल्हा की बिंदोली, 21 मई 1998 देवरी गांव में दलित दूल्हा की बिंदोली, 12 फरवरी 1995 गंगरार तहसील के तुम बढ़िया गांव में होटलों में मटको से दलितों को पानी पिलाने का लोटा आंदोलन, 23 सितंबर 1997 चित्तौड़ से दिल्ली तक जाति तोड़ो भारत छोड़ो यात्रा, 24 जुलाई 1998 निंबाहेड़ा थाना क्षेत्र के कल्याणपुरा गांव में दलितों का होटल प्रवेश, 2 अक्टूबर 2002 निंबाहेड़ा के चरनिया ब्राह्मणन गांव में दलित पूजा महायात्रा में दलितों को घरों में ढोल बजाने का नागरिक अधिकार दिलाया।

समाचार- लक्ष्मीनारायण परमार

संरक्षक- भारतीय दलित साहित्य अकादमी, दिल्ली

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