• जागो हुक्मरान न्यूज़
मानवता मर मिटी मर मिटा इंसान।
पूजने का ढोंग करे, बन बैठे महान।।
एक पल देवी बना गुणगान करे, दूजे पल बना दे अबला।
पल पल बहुरूपिया मानवता को निगला।।
नारी नोची जाओगी, भेष ढोगियो की ढाल।
काटी जाओगी ,मारी जाओगी, जीवत उतरेगी खाल।।
राम की रामायण में मर गई, मर गई द्रौपद रूप में।
हर युग में तुम मरती रहोगी अपने ही कातिल स्वरूप में।।
तुम हो अभी भी भ्रम जाल में, की तुम्हे न्याय मिलेगा।
अरे अभी तो हर रोज तुम्हारा ही कफन सिलेगा।।
बच नहीं पाओगी कभी, गांव गली चौबारे पर।
भेडियों के भेष अनेक है ,किस किस पर रखोगी नजर ।।
मत सोचना की तुम न्याय मिलेगा कानून के सहारे।
कमिनी कुर्सियां ही है कातिल तुम्हारी ,जहां है बेटी बचाओ के नारे ।।
बता तो पहले ही दिया था ,की तुम मारी जाओगी।
जला दी जाएगी आधी रात को, राख और धुंआ धुंआ में पाओगी।।
चीत्कार न सुनेगा कोई, जब तक जिंदा हो।
भूल जाओ की तुम आजाद हो ,सिर्फ पिंजरे का परिंदा हो।।
खून से लथपथ देह, जन्मदवार भी चीर कर सिंथडा होगा।
तब दो दिन जलेगी मोम बत्तियां तुम्हारे नाम की,कातिल साथ खड़ा होगा।।
कुर्सियो के कमीने खड़े होंगे , आग के इंतजार में।
सेंक देंगे दो चार रोटियां तुम्हारी चिता पर, संसद के दरबार में।।
बांटा जायेगा , तुम्हारी लाश को , क्षेत्र भाषा के भाग पर।
क्योंकि,आज पुरुष सिर्फ पुरुष नही बन गया है खर।।
पर खर भी बिचारा क्या करे , वो तो यूंही बदनाम है ।
यह तो नीच कर्म आदम इंसान का काम है।।
~ निंबाराम बजाड़ टापरा, सम्पर्क- 9636982549