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बाड़मेर | परिचमी राजस्थान मे शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े बाड़मेर जिले में महाविद्यालय स्तर की शिक्षा में क्रान्ति लाने वाले अग्रदूत मान्य बी.एल. परिहार ने सर्व प्रथम् 1967 को राजकीय महाविद्यालय बाड़मेर में व्याख्याता ( इतिहास ) के पद पर कार्यग्रहण कर जुलाई 2002 में प्राचार्य के पद से सेवा निवृत हुवे।

आरएमपी जिलाध्यक्ष तगाराम खती ने बताया कि बीएल परिहार अपने कार्यकाल के दोरान हर वर्ग के बालक- बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। जिसके परिणाम स्वरूप आज बाड़मेर ओर जैसलमेर जिलों से हजारो की संख्या में आपके शिष्य बड़े बड़े सरकारी पदों पर आसीन हैं।
सरल स्वभाव, मृदुभाषी, मिलनसार एवं हंसमुख मिजाज व्यक्तित्व के धनी परिहार साहब का हमेशा हर व्यक्ति के साथ मधुर सम्बन्ध रहे है।

परिवार जनों द्वारा 82 वें जन्म दिवस के अवसर पर अपने निवास स्थान महावीर नगर बाड़मेर में स्नेह मिलन समारोह रखा गया। जिसमें बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिकों ने निवास पर आकर शुभकामनाएं दी।

स्नेह मिलन समारोह में मघाराम मेघवाल, रूघाराम गर्ग, तगाराम खती, जयराम दास वणल, पवन परिहार, सन्तोष गढवीर, वैरसीराम वैंकट, भेराराम कागा, मालाराम तंवर, वेणाराम , बाबुलाल गर्ग, प्रेमकुमार गर्ग, कैलाश गर्ग, लाखाराम देवपाल, कानाराम चौहान, नरेश कोडेचा, चाम्पाराम पूनड़ सहित परिजन एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
जिलाध्यक्ष खती ने शिक्षाविद, मार्ग दर्शक व प्रणेता बी एल परिहार को दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की शुभकामनाएं दी।

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