• जागो हुक्मरान न्यूज़

ब्यावर | निकटवर्ती शिक्षकों के गांव देवली कलां के दो प्रतिभाशाली युवाओं हरीश सुवासिया और निर्मल सुवासिया को डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है। गांव में यह पहला मौका है जब दो भाइयों को शोध और हिंदी सेवा के लिए विद्या वाचस्पति (डॉक्टरेट) से सम्मानित किया जा रहा है।

दोनों भाई हिंदी के व्याख्याता है व सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक भंवरलाल सुवासिया के पुत्र हैं। इनके परिवार में छह शिक्षक है। इनके बड़े भाई हरीश सुवासिया को प्रतिष्ठित विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ ने विद्या वाचस्पति (ऑनरेरी डॉक्टरेट) सम्मान प्रदान किया है। यह सारस्वत सम्मान हिंदी सेवा, शोध और राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा हेतु विद्यापीठ की अकादमिक परिषद की अनुशंसा पर प्रदान किया गया हैं।

हरीश वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं, इनके आलेख, कविताएं, कहानियां और व्यंग्य देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशित होते रहते हैं। इन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार सहित अनेक सम्मान मिल चुके है। हाल ही में राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा- ‘संवेदना का संसार’ पुस्तक प्रकाशित हुई है।

वहीं युवा प्रतिभा निर्मल सुवासिया को मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय से डॉ. चंद्रकांता बंसल के निर्देशन में स्त्री और दलित आत्मकथाओं का तुलनात्मक अनुशीलन विषय पर शोध पूर्ण करने पर पी.एच.डी. प्राप्त हुई है। निर्मल वर्तमान में सिरोही में व्याख्याता हैं।

गांव में दोनों भाइयों को एक साथ डॉक्टरेट उपाधि मिलने पर खुशी की लहर है। इस अवसर पर सुवासिया बंधु को मित्रों और ग्रामीणों ने बधाई दी।

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