• जागो हुक्मरान न्यूज़

Article– मृत्यु भोज एक भीषण अभिशाप इंसान स्वार्थ व खाने के लालच में कितना गिरता है इसका नमूना होती है। सामाजिक कुरीतियां ऐसे ही पीड़ा देने वाली कुरीतियां कई वर्षो पहले कुछ स्वार्थीपन लोगों ने भोले भाले इंसानों में फैलाई थी और वह है मृत्यु भोज! जानवर भी अपने किसी साथी के मरने पर मिलकर दुख प्रकट करते हैं यहां उस इंसान की करतूतों को देखो अड़ोसी-पड़ोसी सगे संबंधी साथ भोज करते हैं। वह यह बात समझ में नहीं आती है कि किसी घर में खुशी का माहौल होता है तो मिठाई खिलाई जाती है और कोई बात नहीं जिस घर में मृत्यु होती है वह पूरा परिवार दुःखी हो रहा है, रो रहा हो वहां भोज किया जाए तो इस शर्मनाक परंपरा को मानवता की किस श्रेणी में रखा जाए!

इंसान की गिरावट को मापने का पैमाना कहां से लाएं ऐसे ही गोपीलाल बौद्ध ने बताया है कि मैं पिछले 8 साल से जिस घर मे मृत्यु हुई हो उस घर का खाना पीना नहीं खाता हूं। ऐसे में इस मुहिम में गोपीलाल बौद्ध का काफी युवा पीढ़ी आगे बढ़कर साथ देते हैं और समाज के लोगों को जागरूक करके मृत्युभोज नहीं करवाने का संकल्प दिलाते हैं और निभाते भी हैं।

मृत्युभोज करके जो पैसा मृत्यु भोज में लगाते हैं वह पैसा शिक्षा में लगाया जाए जो कितना बेहतर होगा ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल कायम होगी। जब तक जान रहेगी तब तक समाज की इस भीषण कुरीति पर बौद्ध आवाज उठाते रहेंगे धिक्कार है। ऐसे लोगों पर कलंक है जो लोग समाज में इस कुरितियों को बढ़ावा देते हैं।

लेखक- गोपीलाल बौद्ध, सेवनियाला ( बायतु ), जिला- बाड़मेर (राज) सम्पर्क – 7742454224

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *