• जागो हुक्मरान न्यूज़

सामंतवादी व्यवस्था से दूर रहते हुए शिक्षा, विज्ञान, डॉ आंबेडकर साहब की विचारधारा पर काम करें। हमारे युवाओं को धार्मिक जागरण, सत्संग की ओर नहीं धकेलें।

मेरी नज़र में वर्तमान में राजस्थान में मेघवाल/बलाई/मेघवंशी/ भांबी/ सालवी/ सूत्रकार/बुनकर समाज के साधु-संतों, महंत, पीठाधीश (कुछ साधुओं को पीठाधीश्वर शब्द से प्रेम है जबकि यह शब्द ही गलत है), पीरों, बापजी द्वारा समाज में शिक्षा जागरण, कुरीतियों के निवारण जैसे कार्यों पर यदि कोई उल्लेखनीय कार्य कर रहा है उसमें श्रेष्ठ स्थान पर महंत गणेश नाथ जी महाराज (श्री गणेश शिव मठ, सांचोर जिला जालोर) का नाम पहले नंबर पर लिया जा सकता है। उनका काम दिखता है कि समाज में शिक्षा जागरण और कुरुतियों को दूर करने का काम कर रहे हैं।

बाकी अधिकतर तो धार्मिक पाखंड, जागरण, मनुवादी व्यवस्था को समाज में फैलाकर , मृत्यु भोज की मिठाइयों को बड़े स्वाद से खाते दिखाई देते हैं।
कुछ साधु-संत शिक्षा के क्षेत्र में काम करते दिखते हैं लेकिन उनके रहन-सहन में सामंतवाद, अधिनायकवाद दिखाई देता है जो बिल्कुल गलत है।

महंत गणेश नाथ जी महाराज से निवेदन है कि अपने समाज साधु-संतों का सम्मेलन बुलाओ और शिक्षा जागरण, कुरीतियों के निवारण पर काम कैसे करना चाहिए इसकी जानकारी का प्रशिक्षण दें।

एक साक्षात्कार में महंत गणेश नाथ जी महाराज ने स्पष्ट कहा है कि मैंने जब डॉ भीमराव आंबेडकर साहब के जीवन दर्शन को पढ़ा तब समझ में आया कि एक साधु को किस क्षेत्र में कैसे काम करना चाहिए जिससे समाज में साधु/पीठाधीश नाम सार्थक हो सके।

मैं विनम्र निवेदन करना चाहूंगा कि हमारे सभी साधु-संतों को आचार्य गरीब साहेब के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को गहनता से पढ़ें।

सभी को बोधिसत्व डॉ भीमराव आंबेडकर साहब के जीवन दर्शन को भी पढ़ना चाहिए ध्यान रहे वो भी साधु थे।
अपने समाज के साधु-संतों के लिए जागरण अभियान चलना चाहिए। वर्ना अपने साधु-संत कभी यह नहीं बताएंगे कि वो स्वयं किस समाज के हैं।

समाज बंधुओं पर जातिगत अत्याचार, भेदभाव, मारपीट, दुष्कर्म, हत्या जैसे अपराधों के समय हमारे साधु-संतों के योगदान की समीक्षा करनी चाहिए।

मेरा निवेदन है कि यदि हमने डॉ भीमराव आंबेडकर साहब के जीवन दर्शन को पढ़ा है तो हमें स्वयं को अपने किसी भी साधु-संत को पीठाधीश्वर नहीं कहना चाहिए। मैं कभी भी किसी भी साधु-संत को पीठाधीश्वर नहीं कहता।

नोट :- राजस्थान में अपने समाज में कोई और साधु-संत है जो मृत्यु भोज का बहिष्कार करते हैं और मृत्यु भोज की मिठाई नहीं खाते हों, डॉ आंबेडकर के जीवन दर्शन की जानकारी रखते हों, मनुवादी पाखंड, सामंतवादी व्यवहार नहीं करते हों तो जानकारी शेयर करें।

जय भारत 🇮🇳

लेखक- डॉ. गुलाब चन्द जिन्दल ‘मेघ’
Career Counsellor, अजमेर
Cont.- 9460180510

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