• जागो हुक्मरान न्यूज़
स्व.श्री पन्नालाल प्रेमी का जन्म 01 दिसम्बर 1937 में ग्राम- जयमलसर, बीकानेर में मेघवाल कुल के बामणिया गौत्र में हुआ था। इनके पिताजी का नाम बस्ताराम जी व माताजी का नाम श्रीमती तीजों देवी था। साधारण किसान परिवार में जन्में पन्नालाल प्रेमी ने देशी रियासतों के शोषण एवं सामंतवाद को बहुत करीब से देखा। उन्होंने 1957 में मेट्रिक परीक्षा पास की तथा 1957 से 1964 तक कोल माइन्स पलाना, बीकानेर में लिपिक के पद पर नौकरी की। लेकिन उनका मन हमेशा दलित, शोषित, वंचित तबके के लोगों को स्वाभिमान के साथ जीवन जीने के लिए लगा रहता था। अतः उन्होंने नौकरी छोड़कर खादी ग्रामोद्योग प्रतिष्ठान बीकानेर में कार्य करना प्रारंभ किया तथा लोगों को कृषि कार्य के अतिरिक्त कताई, बुनाई, खादी कपड़े का निर्माण आदि से जोड़ा। गाँवों व कस्बों में चरखे से रोजगार पाने का प्रशिक्षण दिया।
सन 1969 में हकदार पाक्षिक समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ कर देश एवं प्रदेश में महात्मा बुद्ध, कबीर, ज्योतिबा फुले, सन्त शिरोमणि रविदास, भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर, पेरियार आदि के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का जीवन पर्यंत कार्य किया। स्व.पन्नालाल प्रेमी एक निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकार व सम्पादक के साथ-साथ समाज सुधारक, लेखक, कवि, गीतकार, साहित्यकार, चित्रकार, आकाशवाणी वार्ताकार भी थे। उन्होंने करीब 10 पुस्तकों का प्रकाशन किया तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अपने लेख, आलेख, कहानियां, कविताएं आदि प्रकाशित हुई। वे राजस्थान मेघवाल परिषद बीकानेर के लंबे समय तक अध्यक्ष भी रहे। उन्हें कबीर व बाबा रामदेव जी के भजनों का बहुत शौक था। इसीलिए वे वीणा व हारमोनियम पर सत्संग आदि में भजन गाते थे। उनके द्वारा लिखित “बीरा म्हारा रामदेव…” भजन बहुत प्रसिद्ध हुआ। वे सामाजिक विषमताओं, कुरीतियों, कुप्रथाओं के घोर विरोधी थे। अक्सर उनके अखबार में मृत्युभोज, बाल विवाह, नशा प्रवृत्ति आदि पर नियमित रूप से कॉलम बने हुए थे। उन्हें समतामूलक समाज के निर्माण में कार्य करने पर विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सम्मानित भी किया। जिनमें समता सैनिक दल, राजस्थान मेघवाल परिषद बीकानेर, डॉ. आंबेडकर नवयुवक संघ, सद्गुरु कबीर मानव धर्म सत्संग संस्थान, सद्भाव संस्थान, राष्ट्रीय मेघवाल समाज संघ, भावना मेघवाल मेमोरियल ट्रस्ट, अखिल भारतीय पत्रकार संघ, विवेकानंद शिक्षा शोध संस्थान, राजस्थानी भाषा साहित्य अकादमी आदि प्रमुख हैं।
सादा जीवन और उच्च विचारों के धनी पन्नालाल प्रेमी जी को राजस्थान का कबीर कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा रहा। उनकी लेखनी में समता, न्याय, स्वतंत्रता, बंधुत्व की भावना प्रगाढ़ होती थी। 22 अक्टूबर 2020 को समाज के इस पुरोधा का निर्वाण हो गया।
लेखक: मास्टर भोमाराम बोस
प्रदेश महामंत्री (संगठन) भारतीय दलित साहित्य अकादमी, राजस्थान प्रदेश
सम्पर्क: 9829236009