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मिनख घणा ही मोकळा, पर मिनख तणों नी सुकाल!
जै मिनखों में मिनख पणों उण मिनखों रो काल!!
बाड़मेर | जिले के रेतीले धोरों में एक ऐसी ही शख्सियत समाज को जगाने में वर्षों से प्रयत्नशील है। मेघवाल समाज के गौरव तगाराम खती, निवासी खतियो का तला, चौखला (बायतु), हाल निवासी बाड़मेर।
आप पेशे से सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। आपका भरा पूरा परिवार है। करीब 300 परिवारों की बस्ती गाँव में रहती है। इनके दादाजी के परिवार में करीब 40 लोग सरकारी सेवा में है। इनके भाई की पत्नी श्रीमती धर्मी देवी मेघवाल जो कि एमए, बीएड है तथा वर्तमान में चौखला ग्राम पंचायत की सामान्य सीट पर सरपंच हैं। हाल ही में खतियो का तला में सीनियर हायर सेकेंडरी स्कूल बनी है, जहां पर करीब एक करोड़ का कार्य सरकारी मद से करवाया जा रहा है। केयर्न इंडिया ने भी इस स्कूल में विकास कार्य करवाए हैं। तगाराम खती ने अपने पिताजी की स्मृति में इस विद्यालय में प्याऊ का निर्माण व फर्नीचर, कम्प्यूटर इत्यादि भी उपलब करवाए हैं। इनके ज्येष्ठ पुत्र रमेश कुमार खती अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के पद पर गडरारोड़ में सेवारत हैं। अन्य पुत्र निजी व्यवसाय करते हैं।
तगाराम खती ने सेवानिवृत्त के बाद से उन्हें मिलने वाली पेंशन का अधिकाश हिस्सा सामाजिक सरोकार में सहयोग हेतु व्यय करने का संकल्प ले रखा है। हर महीने करीब ₹ 45000/- सामाजिक सरोकार विशेष रूप से शिक्षा (छात्रवास, बच्चों को स्टेशनरी, स्कूलों में फर्नीचर, अध्ययन गोद योजना आदि) में व्यय करते हैं।
आप राजस्थान मेघवाल परिषद जिला शाखा बाड़मेर के जिलाध्यक्ष भी है। स्वयं नशा प्रवृत्ति से कोसों दूर रहे हैं और समाज को नशा व सामाजिक कुरीतियों मुक्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
जिला अध्ययन गोद योजना में करीब 30 विद्यार्थियों को जो कि आर्थिक रूप से बहुत ही कमजोर है पर मेधावी हैं, ऐसे बच्चों को अध्ययन में सहयोग के लिए भामाशाहों को गोद लेने के लिए प्रेरित करते आ रहे हैं। पूर्व में भी आप अपने घर में कुछ ऐसे ही विद्यार्थियों को निःशुल्क रखते आ रहे हैं। जिनमें से कुछ कॉलेज प्रोफेसर व उच्च पदों पर पदासीन है।
पश्चिमी राजस्थान में मृत्युभोज, अफीम, डोडा पोस्त मेघवाल समाज में बड़ी कुरीति है। जिसके कारण कई परिवार तबाह हो चुके हैं। उनकी जमीनें, प्लाट, गहने आदि बिक चुके हैं। परिवार टूट कर कमजोर हो गए हैं और शिक्षा से वंचित हो कर रह गए हैं। राजस्थान मेघवाल परिषद बाड़मेर ने इस गम्भीर सामाजिक कुरीति पर गहरा मंथन किया और अंत मे निर्णय लिया कि हम सभी लोग मिलकर सम्पूर्ण जिले से इस कुरीति को जड़मूल से समाप्त कर ही राहत की सांस लेंगे।
आज सम्पूर्ण बाड़मेर जिले में इसे एक अभियान के रूप में चलाया जा रहा है। समाज के पंच गणों, युवाओं, प्रबुद्धजनों व जनप्रतिधि गणों को इस कुरीति को जड़मूल से खत्म करने में सहयोग करने व सहभागी बनने का अनुरोध किया जा रहा है। जिसमें युवा शक्ति बढ़ चढ़कर आगे आ रही है। समझाइश के बावजूद भी अगर परिवार या पंच पटेल नहीं मानते हैं तो पुलिस प्रशासन व कानून का सहारा भी लिया जा रहा है। जो लोग मृत्युभोज नहीं करते हैं उन्हें परिषद द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया जाता है ताकि अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिले। जहां जहाँ मृत्युभोज, अफीम, डोडा पोस्त जैसी कुरीतियां विद्यमान हैं वहाँ लोगो को समझाने का प्रयास भी किया जाता है और युवा वोलियंटर्स भी तैयार किए जाते हैं।
वर्तमान में बाड़मेर शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति की अग्रसर होता जा रहा है, साथ ही सामाजिक कुरीतियों व कुप्रथाओं को भी छोड़ रहे हैं। तगाराम खती जैसे समाज सेवी प्रबुद्धजनों की बदौलत ही यह बाड़मेर राजस्थान में नम्बर वन पर है। पूरे प्रदेश में मेघवाल समाज बाड़मेर का उदाहरण दिया जाता है जिसके आइकॉन मात्र तगाराम खती सर है। क्योंकि आप सादगी के प्रतीक हैं, मृदुभाषी है, सुशिक्षित व अनुभवी उम्रदराज भी है। आप पद की बजाए काम में विश्वाश करते हैं। मंचों पर अतिथि बनने, साफा- माला इत्यादि से भी आपका कोई मोह नहीं है। सच में आप एक सच्चे समाज सेवक हैं।
हमें आप पर गर्व है। मेघवाल समाज आपके उत्तरोत्तर प्रगति, दीर्घायु व उत्तम स्वास्थ्य की मङ्गल कामनाएं करता है।🙏🙏
(मास्टर भोमाराम बोस, प्रदेश संगठन मंत्री राजस्थान मेघवाल परिषद)