कविता

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ऐ विद्यार्थी तुझे सच्चा इंसान बनना है

ज्ञान विज्ञान में दीक्षित तुझे विद्यार्थी ज्ञानवान बनना है,
मानवीय गुणों से संपन्न तुझे संस्कारी धनवान बनना है।

छोड़ नफ़रत घृणा और अमानवीय व्यवहार,
करुणा प्रेम संग तुझे विद्यार्थी दयावान बनना है।

अज्ञान अंधविश्वास अंध श्रद्धा रूपी तम मिटा,
हर हालात में ऐ तुझे विद्यार्थी प्रकाशवान बनना है।

आयेगी कईं मुसीबतें जीवन की राह में ज़रा पर,
डट कर सामना कर तुझे ऐ विद्यार्थी धैर्यवान बनना है।

जाति धर्म सम्प्रदाय भाषा क्षेत्र वाद है नुकसान दायक,
परे हो ऐ सदा सच्चा तुझे विद्यार्थी इंसान बनना है।

स्वरचित मौलिक रचना – मास्टर भूताराम जाखल
सांचौर, जिला- जालौर (राजस्थान)

3 thoughts on “ऐ विद्यार्थी तुझे सच्चा इंसान बनना है”
  1. बहुत बहुत साधुवाद आभार और शुक्रिया आदरणीय संपादक महोदय

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