20 वर्ष से चल रहा था मानव जीवन के साथ खिलवाड़,

जिम्मेवार अधिकारी अब तक रहें मौन, लगातार खबरें प्रकाशित होने पर जागा चिकित्सा विभाग

बिना किसी डिग्री के बना रहा स्वयभू डॉक्टर

सरदारशहर पुलिस थाने में तथाकथित डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज

जागो हुक्मरान न्यूज़

चूरू | प्रदेश भर में झोलाछाप डॉक्टरों के चलते ना जाने कितनी ही जाने चली जाती है। हालांकि समय-समय पर सरकारें उनके खिलाफ अभियान भी चाहती है और कार्रवाई भी करती है। फिर भी नियम कानूनों को ताक पर रखकर झोलाछाप डॉक्टर बेखौफ होकर अपने दुकाने चलाते हैं और जनता की गाढ़ी कमाई को लूटते हैं ।

वहीं सरदारशहर पुलिस थाने में ऐसे ही एक तथाकथित डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। जो वर्षों से अपनी दुकान चला कर जनता को लूटने का काम कर रहा था। थानाअधिकारी बलराज सिंह मान ने बताया कि राजस्थान सरकार कार्यालय मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी रतनगढ़ चुरू जिला द्वारा दी गई रिपोर्ट पर वार्ड नंबर 2 तारानगर, हाल वार्ड नंबर 19 सरदारशहर निवासी रमेश कुमार पुत्र मोहनलाल शर्मा (ब्राह्मण) के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है।

तथाकथित डॉक्टर रमेश शर्मा का क्लिनिक

सर्वसमाज सरदारशहर की ओर से उपखंड अधिकारी सरदारशहर को शिकायत दर्ज की गई कि रमेश शर्मा बिना किसी मेडिकल डिग्री-लाइसेंस के फर्जी तरीके से सरदारशहर के कच्चा बस स्टैंड पर अवैध क्लीनिक चलाता है और दवा का विक्रय कर रहा है। उक्त शिकायत कार्यालय को प्राप्त होने पर औषधि नियंत्रण अधिकारी, खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी सरदारशहर, आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी, कार्यक्रम प्रबंधक एनएचएम चिकित्सा अधिकारी सरदारशहर की कमेटी गठित करके जांच करवाई गई।

जांच कमेटी की जांच रिपोर्ट 27 नवंबर 2020 के अनुसार जांच के दौरान कच्चा बस स्टैंड सरदारशहर पर संचालित एक परिसर जिसके बाहर डॉ रमेश शर्मा आयुर्वेद रत्न लिखा हुआ पाया गया। डॉ रमेश शर्मा उक्त वक्त अपने क्लीनिक पर नहीं था जांच टीम के द्वारा मोबाइल पर संपर्क करने पर एक घंटा बाद डॉ रमेश शर्मा उपस्थित हुआ और उसे पूछने पर बताया कि वह इंडियन मेडिकल बोर्ड से रजिस्टर्ड है, जिसके रजिस्टर्ड नंबर 18987 बताया। लेकिन रजिस्ट्रेशन से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया, दो-तीन दिन में प्रस्तुत करने को कहा गया परंतु आज तक रमेश शर्मा द्वारा किसी भी प्रकार के कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए।

खबर का हुआ असर

उसके द्वारा आयुर्वेद पद्धति से इलाज करना परामर्श देना स्वीकार किया गया, संबंधित के रजिस्ट्रेशन के संबंध में संदेह की स्थिति है नियमानुसार वह व्यक्ति जो बिना किसी रजिस्ट्रेशन के इलाज के नाम पर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है, उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करने के आदेश पर पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ है।

पहले भी हो चुकी कई बार शिकायत

कथित डॉक्टर पिछले लंबे समय से आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है लेकिन जब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच करने के लिए आती है तो अपने आप को यह डॉक्टर ना बता कर सहायक बताने लगता है। हालांकि 12 महीने पूर्व आई चिकित्सा विभाग की जांच टीम के सामने इसी झोलाछाप डॉक्टर ने अपने आप को डॉक्टर बताया था लेकिन 6 महीने बाद ही यह झोलाछाप डॉक्टर मुकर गया और और फिर से जब चिकित्सा विभाग की टीम ने इस क्लीनिक पर छापा मारा तो कथित डॉक्टर अपने आप को चिकित्सा विभाग की टीम के सामने डॉक्टर का सहायक बताने लगा।

मरीज देखता तथाकथित डॉक्टर

कथित डॉक्टर 20 सालों से चला रहा है अपनी दुकान

सरदारशहर के कच्चा बस स्टैण्ड पर पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से झौलाछाप कथित स्वयभू डॉ रमेश शर्मा अवैध रूप से क्लिनिक चलाते हैं, जिसकी समय-समय पर शिकायत उच्च अधिकारियों को दस्वावेज सहित की जा रही है। मगर कभी किसी भी अधिकारी के कानों पर जूं तक नहीं रैगी लेकिन लगातार मिल रही शिकायतों के बाद जिला कलेक्टर सांवरमल वर्मा ने साहस दिखाया और ड्रग इंस्पेक्टर मनोज गढवाल को कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

कुछ महीने पहले भी पड़ा था छापा 

इसी क्लीनिक पर संपर्क पोर्टल पर शिकायत होने के बाद 27 नवम्बर 2020 को ड्रगस इन्सपेक्टर ने जांच की थी, जिसमें इस कथित डॉक्टर ने आपने आप को आयुर्वेद डॉक्टर बताया था और 2-3 दिन में अपने डिग्री और दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा था। उस समय भी जांच करने टीम ने लिपापोती की और खानापूर्ति करके चली गई जिसके चलते इस कथित डॉक्टर का साहस और बढ़ गया। लगातार यह डॉक्टर आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करता रहा, वहीं डॉक्टर द्वारा डिग्री रजिस्ट्रेशन अब तक उपलब्ध नहीं करवाया गया। इसकी रिपोर्ट ना ही ड्रग इंस्पेक्टर और ना ही स्वास्थ्य विभाग ने मांगे।

अपने आप को डॉक्टर बताने वाला कथित डॉक्टर जब एक बार फिर से स्वास्थ्य विभाग की टीम का छापा पड़ा तो डॉक्टर होने से मुकर गया और अपने आप को सहायक बताने लगा। झौलाछाप कथित डॉक्टर रमेश शर्मा ने सुप्रिम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की है। तब उच्चतम न्यायालय में आयुर्वेद रत्न की डिग्री 2010 में रद्द कर दी थी तो उसका लगातार दुप्रयोग क्यों किया। यहां तक की चुरू के निर्वाचन अधिकारी तक को विधानसभा उम्मीवार के रूप में अपने आप को आयुर्वेद डॉक्टर बताया था।

झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई होना आवश्यक है, झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई से ही है आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होने से रोका जा सकता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो बेखौफ होकर यूं ही झोलाछाप डॉक्टर आम जनता की गाढ़ी कमाई लूटते रहेंगे और उनके स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ करते रहेंगे।

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