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(बाबू जगजीवन राम जी की 117 वीं जयंती पर विशेष आलेख)
जन्म परिचय: बाबू जगजीवन राम जी का जन्म 05 अप्रैल 1908 को बिहार प्रान्त में भोजपुर के छोटे से गाँव चंदवा में एक खेतिहर किसान परिवार में हुआ था। इनके पिताजी श्री शोभाराम जी ने ब्रिटिश सरकार में सेना में नौकरी की, लेकिन कुछ समय बाद ही स्तीफा दे दिया तथा बाद में तपस्वी बन गए तथा सुधारवादी पंथ शिव नारायणी के महंत बने। बाबूजी की प्रथम पत्नी का सन 1933 में निधन हो गया था। बाद में सन 1935 में सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बीरबल की सुपुत्री श्रीमती इंद्राणी देवी से दूसरा विवाह किया,जिनका 1986 में देहांत हो गया। जिसके दो सन्तान हुई। जिसके नाम क्रमशः सुरेश कुमार व मीरा कुमार हैं। मीरा कुमार का जन्म 31 मार्च 1945 को पटना में हुआ। केबिनेट मंत्री बनी और प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी के सामने राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा।
स्वतंत्रता सेनानी व कुशल राजनीतिज्ञ: बाबू जगजीवन राम जी ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया तथा जेल भी गए। उन्होंने गांधीजी के आव्हान पर 9 अगस्त 1942 को मुंबई में भारत छोड़ो आंदोलन की अगवानी की। उन्होंने 1936 से 1986 तक 50 वर्षों तक राजनीति की तथा मंत्री, उप प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में सेवाएं दी। इस दौरान अपने संसदीय जीवन में राष्ट्र के प्रति समर्थन व निष्ठावान रहे। उनका सम्पूर्ण जीवन राजनीति, सामाजिक सक्रियता व विशिष्ट उपलब्धियों से भरा हुआ है। उन्होंने कभी भी अन्याय के साथ समझौता नहीं किया। अंतरिम सरकार में नेहरू मंत्रिमंडल के 12 कैबीनेट सदस्यों में शामिल कर उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया। इस दौरान उन्होंने मजदूरों के लिए मिनिमम वेजेज एक्ट 1948, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट 1947, इंडियन ट्रेड यूनियन एक्ट (संशोधन) 1960, एम्प्लॉइज स्टेट इंश्योरेंस एक्ट 1948, प्रोविडेंट फंड एक्ट 1952 बनाए। 1936 में बिहार विधान परिषद के सदस्य चुने गए। सन 1937 में उन्होंने भारतीय दलित वर्ग संघ की स्थापना की तथा 14 सदस्य जीते। उसके बाद बिहार की कांग्रेस सरकार में मंत्री बने। वे सन 1952 से 1986 तक संसद सदस्य रहे। वे भारत की संसद को अपना दूसरा घर मानते थे। वे बिहार की सासाराम लोकसभा सीट से 8 बार सांसद बने। संचार एवं परिवहन मंत्री रहते हुए उन्होंने निजी विमानन कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण किया, गाँवों में डाक व टेलीग्राम का नेटवर्क विकसित किया। उन्होंने वायुसेवा निगम, इंडियन एयर लायंस व एयर इंडिया की स्थापना की। हालांकि इस दौरान लोगों के विरोध को देखते हुए सरदार वल्लभ भाई पटेल ने राष्ट्रीयकरण को स्थगित करने को कहा लेकिन बाबू जी ने कहा,- “आजादी के बाद देश के पुनर्निर्माण के सिवाय और काम ही क्या करना है?” उन्होंने रेल मंत्री रहते हुए रेलों के आधुनिकरण की बुनियाद डाली, रेलवे कर्मचारियों के लिए कल्याणकारी योजनाएं प्रारम्भ की तथा देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वाराणसी में डीजल इंजन कारखाना, पेरंबूर में सवारी डिब्बा कारखाना, बिहार के जमालपुर में माल डिब्बा कारखाने की स्थापना की। 1962 में चीन व 1965 में पाकिस्तान से लड़ाई के कारण गरीब व किसान भुखमरी से लड़ रहे थे। उस समय अमेरिका से पी.एल.(P. L.) -80 के अंतर्गत सहायता में मिलने वाला गेहूँ व ज्वार मुख्य स्रोत था। ऐसी विषम परिस्थितियों में डॉ. नॉरमन बोरलॉग ने भारत आकर हरित क्रान्ति का सूत्रपात किया। किसानों को अच्छे औजार, सिंचाई के लिए पानी व उन्नत बीज की व्यवस्था की। उन्होंने इस योजना को पूरे देश में लागू कर सिर्फ दो-ढाई साल में किसानों की हालत में सुधार ला दिया तथा अमेरिका से अनाज का आयात रोक दिया। उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की नींव रखी। अब भारत फ़ूड सरप्लस देश बन गया। इस दौरान वे कृषि मंत्री थे। रक्षा मंत्री रहते हुए सन 1971 में बांग्लादेश की स्थापना के पहले भारत-पाकिस्तान लड़ाई में अपनी सेनाओं को पूर्ण रूप से राजनैतिक सहयोग प्रदान किया। यह सैन्य इतिहास में एक उदाहरण है।
सामाजिक कार्य: बाबू जगजीवन राम जी ने पटना में आयोजित छुआछूत विरोधी सम्मेलन में कहा कि सवर्ण हिंदुओं को चाहिए कि वे दलितों को नसीहत देनी बन्द करे तथा उनके साथ समानता का व्यवहार करें। क्योंकि अब दलित उपदेशी नहीं, अच्छे व्यवहार की मांग करते हैं। उनकी मांग स्वीकार करनी होगी। डॉ. आंबेडकर ने अछूतों के लिए पृथक निर्वाचन मण्डल की मांग की है। राष्ट्र की रचना हमसे हुई है, राष्ट्र से हमारी नहीं। राष्ट्र हमारा है। सन 1928 में कोलकाता के लिंगटन स्क्वेयर में एक विशाल मजदूर रैली का आयोजन किया गया था, जिसमें करीब 50 हजार लोग शामिल हुए। उन्होंने सन 1934 में कलकत्ता के विभिन्न जिलों में सन्त रविदास जयंती मनाने के लिए अखिल भारतीय रविदास महासभा की स्थापना की। खेतिहर मजदूर सभा व अखिल भारतीय दलित वर्ग संघ का गठन किया। उन्होंने सितम्बर 1946 में जेनेवा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में हिस्सा लिया तथा श्रमिकों की समस्याएं विश्व के प्रतिनिधियों के सामने रखी।
कांग्रेस के संकट मोचक: बाबू जगजीवन राम जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता रहे। सन 1969 में कांग्रेस में आपसी मतभेदों के कारण उनका विभाजन हो गया। लेकिन बाबूजी ने श्रीमती इंदिरा गांधी को साथ दिया तथा वे कांग्रेस के अध्यक्ष बने।सन 1971 के आम चुनाव में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला। श्रीमती इंदिरा गांधी ने इसका श्रेय बाबूजी को देते हुए कहा कि, ‘बाबू जगजीवन राम जी भारत के प्रमुख निर्माताओं में से एक है। देश करोड़ों दलित, पिछड़े, आदिवासी व अल्पसंख्यक लोग उन्हें अपना मुक्तिदाता मानते हैं।’ 25 जून 1975 को श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश भर में आपातकाल की घोषणा कर दी। इस आपातकाल ने संविधान के मौलिक अधिकारों को सवालों के घेरे में ला दिया। हालांकि इंदिरा गांधी ने 18 जनवरी 1979 को आम चुनाव की घोषणा तो कर दी थी किंतु देश के लोगों को आपातकाल का डर था। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए बाबूजी ने अपने पद का त्याग कर दिया और कांग्रेस पार्टी से भी स्तीफा दे दिया और नई पार्टी कांग्रेस फ़ॉर डेमोक्रेसी बनाई। सन 1979 में बाबूजी की जीत हुई और उन्हें जनता दल की सरकार बनने पर उन्हें रक्षा मंत्री व उप प्रधानमंत्री बनाया गया। सन 1980 में जनता पार्टी का विभाजन होने पर मार्च 1980 में उन्होंने कांग्रेस जे (J) पार्टी का गठन किया।
बाबू जगजीवन राम जी चार बार प्रधानमंत्री बनने से रोका गया। सन 1979 में लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता भी रहे।
शिक्षा: बाबू जगजीवन राम जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से विज्ञान विषय में स्नातक की परीक्षा पास की। उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली व संस्कृत भाषा का ज्ञान था। एक बार पण्डित मदन मोहन मालवीय के कहने पर उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया लेकिन वहाँ पर छुआछूत, भेदभाव के कारण उन्हें रास नहीं आया। इस दौरान उन्होंने वहां पर जातीय भेदभाव का खुलकर विरोध भी किया, जिसमें वे सफल भी हुए।
जोधपुर के स्वामी जोगाराम जी महाराज से भेंट– बाबू जगजीवन राम जी की श्री किशनाराम जी का रामद्वारा, हनुमान भाखरी, नई सड़क जोधपुर के महंत स्वामी जोगाराम जी महाराज से मुलाकात होती रहती थी। क्योंकि स्वामी जी अक्सर दलितों की समस्याओं को लेकर गंगानगर सांसद श्री पन्नालाल जी बारूपाल, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, बाबू जगजीवन राम जी आदि से मिलते रहते थे। बाबूजी स्वामी जोगाराम जी की कार्य प्रणाली से प्रभावित होकर उनके शिष्य बन गए। उनका जब भी जोधपुर का दौरा होता था तो वे रामद्वारे में अवश्य आते तथा स्वामी जोगाराम जी महाराज से आशीर्वाद ग्रहण करते थे।
भारतीय दलित साहित्य अकादमी की स्थापना: बाबू जगजीवन राम जी में समाज सेवा की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी। वे सामाजिक विषमता के घोर विरोधी थे। उनका मानना था कि जब तक समाज में शिक्षा व साहित्यिक रुचि पैदा नहीं होगी तब तक समाज का सर्वांगीण विकास असंभव है। इसीलिए उन्होंने दलित साहित्य को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से डॉ. सोहनपाल जी सुमनाक्षर, पत्रकार पन्नालाल जी प्रेमी बीकानेर, श्री बाबूलाल जी चांवरिया जोधपुर,प्रकाशन विभाग के निदेशक श्री श्यामसिंह ‘शशि’ आदि सेंकडों लोगों की उपस्थिति में सन 06 अगस्त 1984 को भारतीय दलित साहित्य अकादमी दिल्ली की स्थापना की। डॉ. सोहनपाल सुमनाक्षर जी को राष्ट्रीय अध्यक्ष व विद्यावारिधि आचार्य गुरुप्रसाद जी के.पी.को राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया। आज अकादमी की देश के सभी प्रान्तों व जिलों के साथ साथ विश्व के कई देशों में शाखाएं हैं। हजारों साहित्यकारों का जन्म हुआ तथा उन्होंने विभिन्न भाषाओं में दलित साहित्य का सृजन किया।
उपसंहार: बाबू जगजीवन राम जी को सभी लोग बाबूजी कहकर पुकारते थे। वे एक भारतीय राजनीतिज्ञ,महान समाज सुधारक, प्रथम दलित उप प्रधानमंत्री, एक महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, संविधान सभा के अध्यक्ष थे। वे कृषि, सिंचाई, संचार, श्रम, रक्षा, रेल, परिवहन आदि मंत्रालयों के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रहे। उन्होंने हमेशा स्वाभिमान के साथ जीवन जीया और ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा के साथ सरकार के कार्य किए। वे सामाजिक असमानता, छुआछूत, भेदभाव के प्रबल विरोधी थे। इसीलिए उनके जन्म दिवस को समता दिवस के रूप में मनाते हैं।
परिनिर्वाण: बाबा जगजीवन राम जी सांसद के पद पर रहते हुए दिनांक 06 जुलाई 1984 को दुनिया से अलविदा हो गए। भारत ने एक सच्चे समाज सेवी व राष्ट्र भक्त को खो दिया। भारत सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया तथा रेलवे ने उनकी प्रतिमा स्थापित की है।
विशेष: दिनांक 05 अप्रैल 2024 को भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने उन्हें भारत सरकार से भारत रत्न देने की अपील की है।
सन्दर्भ: (१)जगजीवन राम ज्योति प्रकाशन 1978- श्री बिहारीलाल हरित।
(२) श्री जगजीवन राम व उनके विचार 1955- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद।
(३) राष्ट्रनिष्ठ बाबू जगजीवन राम 2012- डॉ. संजय पासवान व फ़ेसबुक आदि।
आलेख: मास्टर भोमाराम बोस
प्रदेश महामंत्री संगठन: भारतीय दलित साहित्य अकादमी प्रदेश शाखा, राजस्थान
सम्पर्क- 9829236009