• जागो हुक्मरान न्यूज़

★ तलाश है वर वधू की ★

करना हे रिश्ते हमें
अपने ही पुत्र पुत्री के वास्ते ।
हो एक विचार, एक रास्ते। ।

जो ना हों अंधविश्वास आडम्बर रूढ़ीवाद की राह पर चलने वाले।

जो हो सदाचारी नेक,
भलाई को समझने वाले।।

हो जागरूक, उच्च शिक्षित ।

देने वाले हो दिशा, घर,परिवार
समाज ओर देश को।।
जहां भी जो हों
कदम अपने बढाइये।
प्रगतिशील मानसिकता के साथ
रिश्ते बनाइये।।

हमे सोना चाहिए ना चांदी।
धन चाहिए ना दोलत। ।

हमें तो गुण लक्षण वाले
सभ्य संस्कारवान वर चाहिए
वधु चाहिए।

हों यदि कहीं तो
बात बढाइये।।

लेखक- मदन सालवी ओजस्वी, चितौडगढ (राज.)
सम्पर्क : 95888-32673

2 thoughts on “कविता: ‘तलाश है वर वधू की’”
    1. *🌹माना कठिनाई आने से आदमी अकेला हो जाता है,*
      *पर कठिनाई आने पर ही अकेला व्यक्ति मजबूत होना सीख जाता है!!🌹*

      🌹कभी टूटते हैं,
      तो कभी बिखरते है
      विपत्तियों में इन्सान,
      ज्यादा निखरते हैं ।

      🙏 जय भीम नमो बुद्धाय🙏🏻

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