सरकार गिराने से लेकर बचाने तक के रोल में रहे बेबाक, राहुल गांधी को कहा था जोकर, विवादों की राजनीति से रहा भंवरलाल शर्मा का गहरा नाता
• जागो हुक्मरान न्यूज़
चूरू | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जिले के सरदाशहर से विधायक पंडित भंवरलाल शर्मा का आज निधन हो गया है। जयपुर के एसएमएस अस्पताल में आज सुबह शर्मा ने अंतिम सांस ली। शनिवार शाम को ही उन्हें एसएमएस अस्पताल भर्ती करवाया गया था।
शर्मा अपने 37 साल के करियर में हमेशा बेबाक बयानबाजी के लिए पहचाने गए। आम आदमी से जुड़ाव और खुलकर अपनी बात कहने के कारण उन्हें कई बार परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। करीब आठ साल पहले कांग्रेस ने उन्हें राहुल गांधी को जोकर कहने पर निलंबित कर दिया था।
भंवरलाल शर्मा पिछले कई दिनों से बीमार थे। पहले उन्हें गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में भी भर्ती करवाया था, वहां से छुट्टी मिल गई थी। उन्हें किडनी सहित कई तरह की बीमारियां थीं। शनिवार को तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया था, जहां पर आज उन्होंने अंतिम सांस ली।
17 अप्रैल 1945 को सरदाशहर के जैतसीसर गांव में पैदा हुए भंवरलाल शर्मा ने 60 के दशक में सरपंच से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने सियासत में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। शर्मा सरदारशहर से सात बार विधायक रहे। वे 8 वीं से लेकर 12 वीं विधानसभा तक सरदारशहर से पांच बार लगातार जीते। बीच में हार गए थे। वे कांग्रेस से पहले जनता पार्टी में रहे थे।
भंवरलाल 1985 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 1990 में राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री और विधानसभा में उप मुख्य सचेतक जैसे पदों पर भी रहे।
सीएम गहलोत ने जताया दुख– सीएम अशोक गहलोत ने विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ‘सरदारशहर (चूरू) से कांग्रेस विधायक श्री भंवरलाल शर्मा के निधन पर मेरी गहरी संवेदनाएं। काफी समय से वो अस्वस्थ चल रहे थे, उनके स्वास्थ्य को लेकर मैं उनके परिवारजनों के संपर्क में था, कल रात एसएमएस अस्पताल पहुंचकर चिकित्सकों से जानकारी ली और परिवार से मुलाकात की थी।’
विधायक शर्मा के निधन पर राज्यपाल कलराज मिश्र, सीएम अशोक गहलोत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित मंत्रियों और नेताओं ने शोक जताया है।
भंवरलाल शर्मा का विवादों की राजनीति से रहा नाता–
चूरू जिले के सरदारशहर में सेवगराम और पार्वती देवी के घर 17 अप्रैल 1945 को भंवरलाल शर्मा का जन्म हुआ था। शर्मा ने 17 साल की उम्र में ही राजनीति में कदम रख दिया था। सबसे पहले साल 1962 में सरदारशहर की जैतसीसर ग्राम पंचायत के सरपंच बने। साल 1962 से 1982 तक सरपंच रहे।
इसके बाद 1982 में वे सरदारशहर पंचायत समिति के प्रधान चुने गए। शर्मा ने 1985 में लोकदल से पहला राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने। विधायक बनने के बाद शर्मा ने जनता दल पार्टी ज्वाइन की। 1990 में दूसरी बार विधायक बनने में सफल रहे। दूसरी बार विधायक बनने पर भंवरलाल शर्मा को राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना मंत्री बनाया गया। फिर इन्होंने 1996 में राजस्थान विधानसभा उपचुनाव जीता। साल 1998, 2003, 2013 और 2018 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने।
विधायक भंवरलाल शर्मा ने देसी अंदाज कभी नहीं छोड़ा– भंवरलाल शर्मा राजनीति में हमेशा मजबूत रहे और सत्ता में पकड़ रही लेकिन उन्होंने कभी देसी अंदाज नहीं छोड़ा। सरदारशहर के लोगों में दादा के नाम से मशहूर भंवरलाल शर्मा के दरवाजे जनता के लिए हमेशा खुले रहते थे। घर आए व्यक्ति को कभी भूखे नहीं जाने देते थे, यह शुरू से लेकर आखिर तक निभाया।
जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले सरदारशहर के लोगों का खास ध्यान रखते थे। क्षेत्र के किसी जरूरतमंद के पास दवा के पैसे नहीं होते थे तो वे इसका इंतजाम करते थे।
सरकार बचाने से लेकर गिराने तक के रोल में रहे– भंवरलाल शर्मा सियासी जोड़तोड़ के भी माहिर खिलाड़ी थे। सरकार गिराने से लेकर उसे बचाने तक के रोल में रहे और बेबाकी से रहे। कभी भी उन्होंने सियासी सच्चाई को छिपाया नहीं और बेबाकी से उसे स्वीकारा।
1990 में भैरोसिंह शेखावत सरकार को समर्थन दिया और जनता दल दिग्विजय कोटे से मंत्री बने। 1996 में वे जनता पार्टी से उपचुनाव जीते। 1996 में उन पर बीजपी विधायकों के साथ मिलकर भैरोसिंह शेखावत सरकार गिराने की साजिश करने के आरोप लगे थे, हालांकि सरकार बच गई थी।
2020 में सचिन पायलट खेमे की बगावत में साथ रहे– जुलाई 2020 में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय भी भंवरलाल शर्मा चर्चित रहे थे। शर्मा पायलट खेमे के विधायकों के साथ बाड़ेबंदी में मानेसर रहे थे।
जब अगस्त 2020 में सुलह हुई तो वे सबसे पहले आकर सीएम अशोक गहलोत से मिले, बाद में वे गहलोत के समर्थन में ही माने जाते रहे।
भंवरलाल शर्मा का मई 2014 में दिया गया बयान काफी सुर्खियों में रहा था। शर्मा ने राहुल गांधी और उनके सलाहकारों को जोकर कहा था। इसके बाद कांग्रेस ने शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था।
उन्होंने कहा था कि गांधी परिवार का सदस्य होने के कारण राहुल को इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी दे दी गई। वरना उन्हें कोई अनुभव नहीं है। हालांकि, बाद में भंवर लाल शर्मा की कांग्रेस में वापसी हो गई थी।
चार साल में छह विधायकों का निधन – राजस्थान विधानसभा की नई बिल्डिंग बनने के बाद एक संयोग रहा है कि यहां कभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे। भवंरलाल शर्मा के निधन के बाद अब विधानसभा में 199 विधायक रह गए हैं। मौजूदा 15वीं विधानसभा में चार साल में अब तक छह विधायकों का निधन हो चुका है।
इससे पहले कोरोना काल में मंत्री और सुजानगढ़ से विधायक मास्टर भंवरलाल, सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी, वल्लभनगर से कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत, राजसमंद से बीजेपी विधायक किरण माहेश्वरी और धरियावद से बीजेपी विधायक गौतम लाल मीणा का निधन हो चुका है।