चालिया परिवार ने 5 लाख रुपए का सम्पूर्ण महादान संस्था को समर्पित कर दिया है: बीबान

• जागो हुक्मरान न्यूज़

बीकानेर कस्बे की खतुरिया कॉलोनी निवासी मुरारी लाल जी चालिया का जन्म 25 अगस्त 1945 को गांव तोलियासर (तहसील डूंगरगढ़ जिला बीकानेर) में हुआ। आपके गांव में सरकारी स्कूल नहीं था परंतु उस समय एक सेठ द्वारा प्राइवेट स्कूल संचालित होता था और उसमें अनुसूचित जाति या जनजाति के विद्यार्थी को उस प्राइवेट स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाता था। इसलिए इनकी प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ ही नहीं हो पाई।आपके पिताजी श्री आशाराम जी सजग व्यक्ति थे और उन्होंने कंवलासर गांव के एक 7वीं पास युवा श्री रेखाराम मेहरड़ा को अपने गांव बुलाया उससे घर पर ही प्राथमिक शिक्षा दिलाने की कोशिश की लेकिन वह भी थोड़े दिन ही पढ़ा पाया और अपने गांव चला गया।

कुछ वर्ष बाद एक आर्य समाजी अध्यापक ने सेठ जी के प्राइवेट स्कूल में ज्वाइन किया तो उससे मुरारीलाल जी के पिता श्री आसाराम जी ने उनसे संपर्क किया कि मेरे पुत्र को भी पढ़ा दिया करो तो मास्टर जी ने ऑफ टाइम में चोरी छिपे स्कूल के पीछे पढाना शुरू किया तो गांव के पुरोहितों को पता चला की आर्य समाजी शास्त्री जी कुछ बच्चों को पढ़ रहा है तो पुरोहित लोगों ने शास्त्री जी को धमकाया और पढ़ाई बंद करवा दी।

उसके बाद श्री मुरारी लाल जी ने अपने गांव से 5 किलोमीटर दूर जेतासर गांव के सरकारी स्कूल में दूसरी कक्षा में प्रवेश लिया। जब वह दूसरी क्लास में प्रवेश लिया तो उनकी उम्र लगभग 15 वर्ष हो चुकी थी। दूसरे छोटे बच्चों के साथ बैठना अटपटा सा लगता था। जबकि वह घर पर अपने पिता के सहयोग से वह अन्य के सहयोग से प्राथमिक शिक्षा घर पर ही सीख ली थी तो किसी अध्यापक ने सलाह दी कि आप तो बहुत कुछ जानते हो तो सीधा दसवीं क्लास की परीक्षा दो। इस सलाह को मानते हुए आपने अगले साल 1960 में सीधे 10वीं की परीक्षा दी और 16 वर्ष की उम्र में दसवीं पास कर ली। श्री मुरारीलाल जी कहते हैं कि मुझे जब कोई पढ़ाने को कोई तैयार नहीं था तो मैंने हिम्मत नहीं हारी और जबरन शिक्षा को छीन लिया। यह था गजब का जोश और जुनून शिक्षा को पाने का।

दसवीं पास करने के बाद प्री-यूनिवर्सिटी-कोर्स राजकीय लोहिया कॉलेज चुरू से पास किया और उसके बाद BA फर्स्ट ईयर आर्ट्स में राजकीय डूंगर महाविद्यालय बीकानेर में प्रवेश लिया।
1966 में बीए पास किया। 1969 में एमए (इकोनॉमिक्स) पास किया।
1970 में कृषि विभाग में कृषि अनुवेंषक के पद पर रायसिंहनगर में सरकारी नौकरी ज्वाइन की।
1971 में केंद्र सरकार की नौकरी लेबर ब्यूरो शिमला में अनुवेषक ग्रेड-2 के पद पर ज्वाइन किया।
6 माह बाद ही आपका चंडीगढ़ ट्रांसफर हो गया और 1980 तक चंडीगढ़ रहे।
आपने भविष्य को और सुंदर बनाने की लगन छोड़ी नहीं और 1980 में UPSC से ‘हैंडीक्राफ्ट प्रमोशन ऑफिसर’ (मिनिस्ट्री आफ टैक्सटाइल, गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया) में सेलेक्ट हो गए और मद्रास में ज्वाइन किया
2 वर्ष बाद 1983 में आपका स्थानांतरण जोधपुर हो गया।
दिसंबर 1983 में आप पदौन्नत होकर ‘असिस्टेंट डायरेक्टर’ हैंडीक्राफ्ट (सहायक निदेशक- हस्तशिल्प) बन गए।
1984 में आपका स्थानांतरण अल्मोड़ा, उत्तर प्रदेश हो गया।
1987 में आप वापिस जोधपुर आ गए ।
1992 में जोधपुर से आप कच्छभुज गुजरात चले गए।
फिर 2000 से लेकर 2003 तक आप ग्वालियर, मध्यप्रदेश रहे।
2003 से लेकर 2005 तक आप जोधपुर रहे और 31 अगस्त 2005 को जोधपुर से सहायक निदेशक (शिल्प) के पद से आप सेवानिवृत्त हो गए।

आपके संघर्ष के दौरान आपकी पढ़ाई नौकरी अन्य सुविधाओं का ध्यान रखने के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई, लालन पालन की जिम्मेदारी उठाई आपकी ‘जीवनसंगिनी श्रीमती रुक्मिणी देवी’ ने जो वर्तमान में भी आपका ध्यान इस प्रकार रखती है जिस प्रकार एक मां अपने बच्चों का रखती है।

आप क्रांतिकारी समाजसेवी श्री रावतराम जी आर्य (चुरू) के दामाद है। आपके ससुर श्री रावतराम जी आर्य पांच बार विधायक रह चुके हैं । 1957 में चुरू (डब्बल मेम्बरशिप सीट) से, 1962 में राजगढ़(सादुलपुर) सुरक्षित सीट से, 1972 में छापर से, 1977 में सुजानगढ़ से MLA रहे।
श्री आर्य साहब ने जनसहयोग से चुरू में ‘अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आदर्श छात्रावास का निर्माण करवाया, जो आज भी जरूरतमन्द छात्रों के लिए एक बरगद की छांव बनकर भविष्य का निर्माण कर रहा है।’

  • आपके खुशहाल परिवार में आपकी जीवनसंगिनी श्रीमती रुक्मणी देवी सहित आपके पुत्र श्री महेंद्रपाल सिंह चालिया पीडब्ल्यूडी में एक्सईएन के पद पर कार्यरत है। पुत्रवधू श्रीमती सुमन उच्च-शिक्षित गृहणी है।
    आपकी पौत्री मनीषा और पौत्र आदित्य अध्यनरत है।
  • आपकी बड़ी पुत्री डॉ.अंजू बाला उच्च शिक्षित गृहणी है एवं अंजुबाला के जीवन साथी श्रीमान नेमीचंद जी वर्मा MBM इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी, जोधपुर में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है।
  • दूसरी पुत्री डॉ.राजश्री चालिया बीकानेर में चिकित्सा अधिकारी है और डॉ. राजश्री के जीवन साथी डॉ. अशोक जी लुणिया, MS (जनरल सर्जरी) SP मेडिकल कॉलेज, बीकानेर में प्रोफेसर है और बीकानेर संभाग के जाने-माने सर्जन हैं।

हमें गर्व है कि चालिया परिवार द्वारा किया गया यह महादान समाज के जरूरतमन्द बच्चों का भविष्य बनाने में नींव का पत्थर साबित होगा।
“आपका बहुत बहुत साधुवाद!”

आभार:– अनुसूचित जाति जनजाति मानव कल्याण संस्थान, बीकानेर…
संकलन:- एलआर बीबान, बीकानेर

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