• जागो हुक्मरान न्यूज़
समाज को विकास पथ पर मोड़े हम
हमारा आदर्श समाज,
घिरा है एक दीवार से,
दीवार में पत्थर की तरह,
बैठी कुरीतियां,
तोड़नी होगी हमें,
शिक्षा के हथौड़े से,
समाज खड़ा चौराहे पर,
पतन शहर की ओर बढ़े,
रुख मोड़ हम।
विकास पथ पर मोड़ें।
एक महापुरुष ने सोचा था,
ऐसा समाज क्यूं न बनाए हम,
मरणभोज को समझ कुरीति,
उखाड़ फेंके मूल सहित।
क्यू समाज के एक परिवार को,
कर्जें में डुबाए हम,
क्यों किसान खेत खलिहानों को,
जीवन भर की पूंजी को,
एक झटके में खोए।
क्यों बालक को,
विवाह संबंध में बांधे हम।
क्यों माने उसे जो,
बैठा है पाषाण में,
अपने परिहासों से,
डरा रहा हमें,
शिक्षा के हथौड़ों से,
इन दीवारों को तोड़े हम,
समाज को विकास पथ पर मोड़ें हम।
लेखक: धारू धुम्बड़ा पुत्र नरसिंगा राम
सम्पर्क- 9784125568
पता: सन्तरा, गिड़ा, बायतु, बाड़मेर
हाल निवास- मेघवाल समाज शैक्षणिक एवं शोध संस्थान छात्रावास, रीको एरिया राम नगर, बाड़मेर