शरीर मृत्यु और दाह संस्कार के बाद केवल मात्र राख का ढेरः रावत

• जागो हुक्मरान न्यूज़

बालोतरा | मानवता के लिए शरीर दान करना इंसान के लिए सब से बड़ा पुण्य है। ऐसा ही पुण्य का भागी बना है रक्तकोष मित्र मंडल सेवा संस्थान के जिला अध्यक्ष रावत बौद्धा बाड़मेर जिले के माधासर बायतू भोपजी निवासी रावत बौद्ध पुत्र मूलाराम मेघवाल ने शुक्रवार को अपने बेटे वीरांश बौद्ध के दूसरे जन्मदिन पर मरणोपरांत मानवता के लिए अपने शरीर के समस्त अंगदान व देहदान करने का संकल्प लिया है।

रावत ने अपने बेटे वीरांश के हृदय रोग के ऑपरेशन के बाद ये निर्णय लिया गया। रावत ने अपने बेटे के साथ मेडिकल कालेज बाड़मेर जाकर देहदान की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया है। मेडिकल कॉलेज में अस्पताल अधीक्षक डॉ. बीएल मसुरिया को घोषणा पत्र सौंपा मेडिकल कॉलेज की और से रावत का धन्यवाद ज्ञापित किया। देहदान प्रपत्र में साक्षी में धनाराम चौहान एवं निंबाराम पनावड़ा, हुकमाराम भड़नाव, अगरेन्द्र बरखड़, सतीश मेघवंशी, आसुराम टाक, शंकर चौहान के साथ देहदान किया।

विराशं के पिता रावत ने बोला- जानकारी के अनुसार बाड़मेर जिले के माधासर बायतू भोपजी निवासी 33 वर्षीय रावत बौद्ध ने अपने बेटे वीरांश बौद्ध के दूसरे जन्मदिन पर स्वयं देहदान का निर्णय लिया। रावत ने कहा कि हमारे शरीर छूटने के बाद शरीर के काम आने वाले अंग आंखें, गुर्दे, ब्रेन पार्ट सहित अन्य अंग जरूरतमंद, असहाय व गरीब लोगों की जान बचाने के काम आएं और उसके बाद उनके शरीर संस्थान में प्रशिक्षण करने वाले प्रशिक्षु डाक्टरों के प्रशिक्षण में काम आए। उन्होंने कहा कि यह शरीर मृत्यु और दाह संस्कार के बाद केवल राख का ढेर मात्र रह जाता है।

कर्मकांड और मृत्युभोज न किया जाए- रावत का कहना है कि यदि मानव कल्याण में हमारे अंग या देह काम आए तो इससे बढ़कर सौभाग्य की बात क्या हो सकती है। बताया कि देहदान महादान कहा जाता है। इसे महादान की श्रेणी में इसलिए रखा गया है, क्योंकि मृत देह मेडिकल कॉलेज के प्रशिक्षु डाक्टरों के लिए एक साइलेंट टीचर की तरह काम आती है। देहदान करने वाले वीरांश के पिता रावत ने कहा कि मरणोपरांत उनकी देह को तुरंत मेडिकल कॉलेज बाड़मेर पहुंचा दिया जाए। वही कहा कि उनकी मृत्यु के उपरांत रिश्तेदारों से किसी भी प्रकार के शोक समारोह, कर्मकांड, मृत्युभोज और अन्य कार्यक्रम न करने का आह्वान किया है।

इनसे से मिली प्ररेणा- उन्होंने कहा कि हमें देहदान करने की प्रेरणा बालोतरा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नितेश आर्य से मिली। वही बताया कि एएसपी नितेश आर्य व पत्नी नीलम आर्य ने भी मरणोपरांत देहदान करने का संकल्प लिया हुआ है। रावत ने क्षेत्र के लोगों से भी अपील की है कि पीड़ित मानवता के लिए इस प्रकार के काम के लिए आगे आएं।

22 वीं बार किया रक्तदान- रावत बौद्ध ने अपने बेटे वीरांश बौद्ध के दूसरे जन्मदिन पर मानवता की मिसाल पेश करते हुए 22 वीं बार रक्तदान किया। वही आगे भी निरंतर समय समय पर रक्तदान करने की बात कही।

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