परिवार के सदस्यों ने मिठाइयां बांटकर के मनाई खुशीयां

• जागो हुक्मरान न्यूज़

जालोर | अगर दृढ़ संकल्प और मजबूत इरादे हो तो मंजिले जरूर मिलती है। जी हां ऐसा ही कुछ कर दिखाया जालोर जिले के सांचौर क्षेत्र के एक छोटे से गांव सरवाना के निवासी मजदूर छैलाराम मेघवाल के लाल भूपेंद्र विरास ने। दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड ने प्रशिक्षित शिक्षक प्राकृतिक विज्ञान में जारी परीक्षा परिणाम में भूपेंद्र विरास सरवाना ने बाजी मारी है।

पिता छैलाराम मेघवाल ने विषम परिस्थितियों व कठिन परिश्रम के बलबूते पर तीन बेटे और एक बिटिया को उच्च शिक्षा दिलवाई। बेटे भूपेंद्र का रिजल्ट देखकर पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। भूपेंद्र विरास के पिता छैलाराम कारीगर है माता मेती देवी ग्रहणी है। पैतृक गांव सरवाना है, हाल सांचौर में निवासी है।

भूपेंद्र ने अपनी प्राथमिक शिक्षा रामदेव पब्लिक स्कूल सरवाना और माध्यमिक कृष्णा पब्लिक स्कूल सांचौर से 71.67 प्रतिशत से उत्तीर्ण की।
वहीं, उच्च माध्यमिक साइंस वर्ग से 71 प्रतिशत से पास की। बीएससी गायत्री कॉलेज सांचोर से 70.96 प्रतिशत से और एमएससी रसायन विज्ञान से जेएनवीयू जोधपुर से 70 प्रतिशत से उत्तीर्ण की हैं।

संघर्ष का सफर:-विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में 5 बार हुए असफल:-

  • भूपेंद्र ने वर्ष 2013, 2014 में पीएमटी की तैयारी की लेकिन चयन नहीं हुआ।
  • फिर नवोदय पीजीटी 2019 में एग्जाम दिया लेकिन असफल हुए।
  • वर्ष 2020 में फर्स्ट ग्रेड की परीक्षा में भी असफल हुए। 2021 में आयोजित रीट परीक्षा में 80.66 प्रतिशत अंक मिले परंतु दुर्भाग्य से परीक्षा रद्द हुई।
  • इस प्रकार से भूपेंद्र 5 बार प्रतियोगी परीक्षा में सफल हुए लेकिन हार नहीं मानी और मेहनत करते रहे,
  • अंत में 2022 में दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड की टीजीटी नेचुरल साइंस में अंतिम रूप से चयनित हुए।

वह कहते हैं ना कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। कोई भी बाधा प्रतिभा को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती हैं। भूपेंद्र ने दिसंबर 2022 को सर्वोदय बाल विद्यालय सादिक नगर, नई दिल्ली में टीजीटी प्राकृतिक विज्ञान में पदभार ग्रहण किया।

भूपेंद्र के पदभार ग्रहण करने पर परिवार के सदस्यों, रिश्तेदार ने मिठाई बांटकर खुशियां मनाई। वहीं, सोशल मीडिया के माध्यम से मित्रों व समाज बन्धुओं ने बधाईयां देकर शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।

इनका कहना है कि-
हमें मेहनत करते रहना चाहिए।
जब तक सफलता ना मिले।
क्योंकि असफलता ही सफलता की कुंजी होती हैं।

Report- JHN

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