• जागो हुक्मरान न्यूज़

बीकानेर | राजस्थान प्रदेश में दलित अत्याचार की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। राजस्थान मेघवाल परिषद के प्रदेशाध्यक्ष मूलाराम मेघवाल ने बीकानेर मुख्यालय से 19 अगस्त को मुख्यमंत्री के नाम रजिस्ट्री डाक के माध्यम से ज्ञापन भेजकर उचित कार्रवाई की मांग की है। ज्ञापन में बताया गया कि अनुसूचित जाति की बहुसंख्यक आबादी मेघवाल जाति की है और प्रदेश के सभी क्षेत्रों में इस जाति को टारगेट बनाकर उनके साथ हर रोज जघन्य अपराध किए जा रहे हैं। हत्या, बलात्कार, शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना आदि आम बात हो गई है। पूर्व में डेल्टा कांड, डांगियावास कांड के बाद पाली जिले के बारवां गांव में जितेंद्र मेघवाल हत्या कांड जालोर जिले में सन्त रविनाय आत्महत्या प्रकरण और अभी हाल ही में जालोर जिले के सायला तहसील के सुराणा गाँव में एक निजी विद्यालय में कक्षा तीसरी में अध्ययनरत अनुसूचित जाति (मेघवाल) के नौ वर्षीय मासूम इंद्रकुमार मेघवाल द्वारा मटके से पानी पीने पर स्कूल के हेड मास्टर चैलसिंह द्वारा मारपीट की गई जिससे इस मासूम की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। पुलिस प्रशासन द्वारा परिजनों के साथ वर्वरता का व्यवहार किया गया और उन पर लाठियों बरसाई गई, उन्हें मुँह बंद रखने के लिए धमकाया गया। जिससे पूरे क्षेत्र में भय का माहौल बना हुआ है और SC/ST के लोगों में भय व्याप्त है। इस घटना को लेकर प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश के सामाजिक संगठनों व मानवतावादी दृष्टिकोण वाले लोगों का आना जाना रहता है। प्रदेश की राजधानी जयपुर से लेकर सभी जिलों, उपखंड व तहसील मुख्यालयों पर सैंकड़ो की तादाद में लोगों द्वारा धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है, पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए सरकार को ज्ञापन दिए जा रहे हैं लेकिन अभी तक सरकार द्वारा उचित निर्णय नहीं लिया गया है जिससे दलित समुदाय में भारी रोष व्याप्त है।

राजस्थान मेघवाल परिषद नू निम्न मांगे रखी है–

  1. इंद्र कुमार पुत्र श्री देवाराम मेघवाल निवासी सुराणा, जालोर की मृत्यु स्कूल में मटके से पानी पीने पर सवर्ण जाति के हेड मास्टर शैलसिंह द्वारा उनके साथ मारपीट करने से हुई है। अतः दोषी व्यक्ति को सख्त सजा दी जाए।
  2. निजी स्कूल सरस्वती विद्या मंदिर सुराणा, जालोर की मान्यता आजीवन निरस्त की जाए तथा उसमें अध्ययनरत विद्यार्थियों को अन्य स्कूल में प्रवेश दिया जाए।
  3. पीड़ित परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी व ₹50 लाख की आर्थिक मदद दी जाए, जैसा कि कन्हैयालाल के मामले में किया है।
  4. सुराणा गाँव में पीड़ित परिवार के घर मौहल्ले में अस्थायी पुलिस चौकी स्थापित की जाए।
  5. पीडित परिवार को पुलिस द्वारा द्वारा वर्वरता का व्यवहार करने, भयभीत करने व तथ्यों को छुपाने के लिए बाध्य किया गया, जिस कारण दलितों में भय व्याप्त हो गया है, अतः जालोर के पुलिस अधीक्षक को बर्खास्त किया जाए।
  6. मृतक इंद्र कुमार मेघवाल के प्रकरण में त्वरित कार्यवाही की जाए।
  7. संविधान के अनुच्छेद 15 व 14 में अश्पृश्यता को गैर कानूनी ठहराया गया है लेकिन आजादी के 75 वर्ष बाद भी अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के साथ छुआछूत व भेदभाव का बर्ताव किया जाता है, अतः इसे जड़मूल से समाप्त करने हेतु सख्त कानून बनाया जाए।
  8. हालांकि दलित अत्याचार की घटनाएं सम्पूर्ण देश में रोज घटित हो रही है लेकिन राजस्थान प्रदेश के पश्चिमी भाग में सामंती सोच के चलते सबसे ज्यादा घटित होती है, इसीलिए इस क्षेत्र में इस वर्ग के सरंक्षण हेतु विशेष योजनाएं बनाई जाए।
  9. राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में Sc / St वर्ग के लोगों के साथ अन्य जातियों का रवैया भी नकारात्मक सोच का बन रहा है, अतः आम जन में आपसी सौहार्द कायम रखने हेतु विशेष अभियान चलाया जाए।
  10. हालांकि sc/st वर्ग के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है लेकिन उनका लाभ उन लोगों को नहीं मिल पा रहा है या उन लोगों तक उक्त योजनाएं नहीं पहुंच पा रही है। इसके लिए भी सरकार को ध्यान देना होगा।
  11. असंगठित वर्ग जैसे खनिज मजदूर, कमठा / भवन निर्माण मजदूर खेतिहर मजदूर/ खादी व हाथ करघा से जुड़े मजदूरों को उचित संरक्षण व भरण पोषण के लिए विशेष आर्थिक सहयोग किया जाए।
  12. सरकार द्वारा sc/st एक्ट को प्रभावी बनाने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार प्रसार किया जाए तथा प्रत्येक थाने में अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों की एक समिति गठित करने का प्रावधान किया जाए।

ज्ञापन में बताया गया कि उपरोक्त मांगों पर गौर करते हुए तुरंत प्रभाव से लागू करने की कार्यवाही की जाए। अगर सुराणा, जिला जालोर प्रकरण में पीड़ित परिवार/पक्ष को उचित न्याय नहीं मिला तो हमें मजबूरन विशाल धरने प्रदर्शन / सम्मेलन इत्यादि करने पड़ेंगे तथा सरकार व प्रशासन के खिलाफ अभियान चलाना पड़ेगा, जिसमें जनहानि या सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचने पर सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी।

One thought on “Bikaner: राजस्थान मेघवाल परिषद ने दलितों पर बढ़ते अत्याचारों पर अंकुश लगाने की मांग की”
  1. बहुत ही सराहनीय पहल JHN मिडिया बहुजनो के लिये किसी वरदान से कम नही है
    उज्जवल भविष्य की मंगलकामनाऐं

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